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पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से बचने की आवश्यकता – सद्गुरु व्यासानंद जी

  • नव वर्ष के उपलक्ष्य में भुवनेश्वर में सत्संग ज्ञान यज्ञ आयोजित

भुवनेश्वर। नव वर्ष 2025 के उपलक्ष्य में भुवनेश्वर में आयोजित एक दिवसीय सत्संग ज्ञान यज्ञ में उत्तराखंड के ऋषिकेश से पधारे प्रसिद्ध संत सद्गुरु व्यासानंद जी महाराज ने अपने प्रवचन में पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से बचने और जीवन को सही मार्ग पर चलने का संदेश दिया।
सद्गुरु व्यासानंद जी ने व्यासपीठ से संबोधित करते हुए कहा कि आज के समाज में पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव बढ़ता जा रहा है, जिससे हमारी आत्मीयता, सरलता और संस्कारों में कमी आई है। उन्होंने बताया कि हमें इस प्रभाव से बचने के लिए अपने भारतीय संस्कारों को पुनः जागृत करना होगा। शाकाहारी भोजन और सकारात्मक विचारों को जीवन में उतारने पर उन्होंने विशेष बल दिया।
सद्गुरु व्यासानंद जी ने जीवन में सुख और शांति पाने के लिए व्यास, सद्ग्रंथ और सत्संग को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि सद्गुणी व्यक्ति ही भगवान की प्रार्थना सुनते हैं और वही जीवन में सच्चा सुख पाते हैं। वे मानते हैं कि अगर हमारा कर्म मंगलमय नहीं होगा, तो नव वर्ष का स्वागत केवल उत्सव के रूप में होगा, लेकिन यह सच्चे अर्थों में मंगलमय नहीं हो सकेगा।
सद्गुरु जी ने शांति और आनंद की प्राप्ति के लिए अपने क्रोध रूपी दुश्मन को त्यागकर विवेक रूपी सच्चे मित्र को अपनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि हमारे जीवन के प्रत्येक कदम में शांति और सामंजस्य होना चाहिए, तभी हम अपने जीवन को सही दिशा में ले जा सकते हैं।
आयोजन के दौरान अशोक पाण्डेय ने सद्गुरु व्यासानंद जी का स्वागत किया और उपस्थित सभी भक्तों को नव वर्ष की शुभकामनाएं दीं। सीए अनिल अग्रवाल और गिरधारी हलान ने भी आयोजन की सफलता के लिए अपने योगदान की जानकारी दी। इस अवसर पर हजारों भक्तों ने प्रवचन का लाभ उठाया और जीवन में इन्हें अपनाने का संकल्प लिया।

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