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ओडिशा आलू संकट से मुक्ति में जुटा

  • रबी ऋतु में 64.17 करोड़ की लागत से राज्य में खेती की हुई व्यवस्था

  • कृषि मंत्री कनक वर्धन सिंहदेव ने विधानसभा में दी जानकारी

भुवनेश्वर। पश्चिम बंगाल सरकार के कारण बार-बार संकट से गुजर रहे ओडिशा ने आलू संकट को स्थायी तौर पर दूर करने में जुट गया है। रबी ऋतु में 64.17 करोड़ रुपये की लागत से राज्य में आलू की खेती के लिए व्यवस्था की गई है, जो 15,230 हेक्टेयर भूमि पर की जाएगी।
विधानसभा में आज एक प्रश्न के उत्तर में उपमुख्यमंत्री और कृषि मंत्री कनक वर्धन सिंहदेव ने यह जानकारी दी।
पिछली सरकार की आलू मिशन योजना को विफल बताते हुए सिंहदेव ने कहा कि आलू संकट के समय पश्चिम बंगाल ओडिशा को आलू की आपूर्ति करने में बाधाएं उत्पन्न करता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ओडिशा में व्यापक आलू उत्पादन कर पश्चिम बंगाल पर निर्भरता समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने आगे कहा कि आलू की खेती को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। 2023-24 की रबी ऋतु में कटक, कंधमाल, केन्दुझर, सुंदरगढ़ और कोरापुट से 13.8 लाख मीट्रिक टन आलू का उत्पादन किया गया। कोरापुट, कंधमाल और केन्दुझर में खारीफ के दौरान भी आलू की खेती होती है। नवंबर के पहले सप्ताह से बीज का वितरण शुरू किया गया, जो पश्चिम बंगाल से लाए गए थे। उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही ओडिशा अपना खुद का आलू बीज उत्पादन करेगा और इसे किसानों को उपलब्ध कराएगा।
अब तक किसानों को 1,37,230 क्विंटल बीज वितरित किए जा चुके हैं। कृषि विभाग ने यह भी घोषणा की है कि नदी की रेत पर आलू की खेती के लिए एक सर्वेक्षण टीम भेजी जाएगी।

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