-
रणेंद्र प्रताप स्वाईं और उपमुख्यमंत्री केवी सिंहदेव आमने-सामने
भुवनेश्वर। ओडिशा विधानसभा में आज वरिष्ठ बीजद विधायक रणेंद्र प्रताप स्वाईं और उपमुख्यमंत्री केवी सिंहदेव के बीच वाल्टियर रेलवे डिवीजन को साउथ सेंट्रल रेलवे ज़ोन के तहत विजयवाड़ा के साथ विलय करने के प्रस्ताव को लेकर तीखी बहस हुई। स्वाईं ने केंद्रीय रेल मंत्री की आलोचना करते हुए कहा कि बीजद इस तरह के कदम को स्वीकार नहीं करेगी। इसके विपरीत सिंहदेव ने दृढ़ता से कहा कि ओडिशा की रेलवे लाइन का एक इंच भी दूसरे राज्य को नहीं जाने दिया जाएगा।
शून्यकाल के दौरान स्वाईं ने इस मुद्दे को उठाते हुए याद दिलाया कि पूर्वी तट रेलवे (इकोर) की स्थापना पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा के कार्यकाल के दौरान हुई थी। उन्होंने वर्तमान रेल मंत्री पर बेईमानी का आरोप लगाते हुए कहा कि हमें शर्म आती है कि हमने अपने वोटों से उन्हें दिल्ली भेजा। हम जानते हैं कि उन्हें ओडिशा से कोई लगाव नहीं है। अगर वाल्टिययर डिवीजन को साउथ सेंट्रल रेलवे और विजयवाड़ा के साथ मिला दिया गया, तो ओडिशा को 20,000 करोड़ का राजस्व नुकसान होगा।
स्वाईं ने आगे जोर देकर कहा कि पूर्वी तट रेलवे की स्थापना बीजू पटनायक के आशीर्वाद से हुई थी, लेकिन अब वाल्टीयर डिवीजन को विजयवाड़ा के साथ मिलाने की साजिश रची जा रही है। उन्होंने बताया कि यह डिवीजन वर्तमान में ओडिशा के लिए 20,000 करोड़ का राजस्व उत्पन्न करता है, जिसे विलय के बाद खो दिया जाएगा। उन्होंने ओडिशा के हितों की रक्षा के लिए कदम उठाने की मांग की और राज्य के प्रति केंद्र सरकार की उदासीनता पर निराशा व्यक्त की।
कांग्रेस विधायक दल के नेता रामचंद्र काड़ाम ने भी इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ओडिशा को वाल्टेयर डिवीजन से काफी राजस्व प्राप्त होता है। उन्होंने रेल मंत्री पर आरोप लगाया कि वह ओडिशा के हितों की अनदेखी कर रहे हैं, जबकि वह स्वयं ओडिशा से आते हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि केंद्र सरकार ओडिशा के खनिज संसाधनों को लूटने की योजना बना रही है और चेतावनी दी कि अगर केंद्रीय मंत्री इस मुद्दे को हल नहीं करते, तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
आलोचनाओं का जवाब देते हुए उपमुख्यमंत्री केवी सिंहदेव ने कहा कि ओडिशा की रेलवे लाइन का एक इंच भी दूसरे राज्य को नहीं जाने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि ओडिशा में रेलवे के विकास के लिए 23,000 करोड़ मंजूर किए गए हैं और रायगड़ा में एक स्वतंत्र डिवीजन की स्थापना के लिए 107 करोड़ का टेंडर जारी किया गया है। हालांकि, उन्होंने सवाल किया कि जब यूपीए सरकार के दौरान साउथ डिवीजन की स्थापना हुई, तब बीजद सांसदों ने इसका विरोध क्यों नहीं किया और वे चुप क्यों रहे।