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हरेकृष्ण महताब की जयंती पर माझी कांग्रेस पर बरसे

  • कहा – लंबे समय तक हम केवल एक परिवार के योगदान को ही पहचानने में लगे रहे

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे बदला और अब हम जानते हैं कई अन्य राष्ट्रीय नायकों के योगदान को

  • उत्कल केसरी हरेकृष्ण महताब पर सरकार ने स्मारक और बायोपिक की घोषणा की

  • महापुरुषों के योगदान को पहचानने पर जोर

भुवनेश्वर। ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने गुरुवार को उत्कल केसरी हरेकृष्ण महताब की 125वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में कांग्रेस पर जमकर बरसे। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से नेहरू-गांधी परिवार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि लंबे समय तक हम केवल एक परिवार के योगदान को ही पहचानने में लगे रहे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे बदल दिया और अब हम कई अन्य राष्ट्रीय नायकों के योगदान को जानते हैं।
मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने सभा को संबोधित करते हुए घोषणा की कि राज्य सरकार उत्कल केसरी हरेकृष्ण महताब के जीवन पर आधारित बायोपिक बनाएगी और विभिन्न स्थानों पर उनके स्मारक स्थापित करेगी।
महताब की जयंती पर यह कार्यक्रम विज्ञान भवन में आयोजित हुआ था, जहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बतौर मुख्य अतिथि थीं।
ओडिशा के सरदार पटेल थे महताब
मुख्यमंत्री माझी ने महताब को ओडिशा का सरदार पटेल बताया, जिन्होंने विभिन्न रियासतों को ओडिशा राज्य में मिलाने में अहम भूमिका निभाई। माझी ने कहा कि महताब ने हीराकुंड बांध की स्थापना की और कटक से भुवनेश्वर को राज्य की राजधानी बनाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया। महताब स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ओडिशा के नेता थे और उन्हें नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा कांग्रेस वर्किंग कमेटी के लिए नामांकित किया गया था। इसके साथ ही महताब ने ओड़िया और अंग्रेजी में व्यापक लेखन किया। उनकी कृति ‘गांव मजलिस’ के लिए उन्हें 1983 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
उन्होंने कहा कि महताब उड़ीसा प्रांत के अंतिम प्रधानमंत्री थे। 1936 में उड़ीसा के अलग राज्य बनने से पहले 1912 में बिहार और उड़ीसा प्रांत बंगाल से अलग किए गए थे। स्वतंत्रता के बाद यह भारत संघ का हिस्सा बन गया।
आपातकाल के दौरान हुए थे गिरफ्तार
माझी ने कहा कि महताब को 1975 में तत्कालीन कुख्यात कांग्रेस सरकार द्वारा आपातकाल के दौरान जनता और जननेताओं के साथ की गई क्रूरता और गुलामी जैसे व्यवहार का विरोध करने के लिए गिरफ्तार भी किया गया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के साथ उनका लगभग आजीवन जुड़ाव इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की जनविरोधी राजनीति और नीतियों के साथ समाप्त हो गया।
125वीं जयंती समारोह की घोषणाएं
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार महताब की 125वीं जयंती को वर्षभर मनाएगी। इस दौरान उनके जन्मस्थान अगरपाड़ा में स्मारक स्थापित होगा। महताब द्वारा लिखित पुस्तकों का पुनर्प्रकाशन विभिन्न भाषाओं में किया जाएगा। उनके जीवन और योगदान पर शोध को प्रोत्साहित किया जाएगा। उनकी प्रेरणादायक जीवन यात्रा पर बायोपिक का निर्माण किया जाएगा।
महताब का योगदान प्रेरणा स्रोत – प्रधान
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे। प्रधान ने कहा कि यह खुशी की बात है कि ओडिशा सरकार ने महताब की 125वीं जयंती मनाने का फैसला किया है।
हरेकृष्ण महताब का जन्म 21 नवंबर 1899 को अगरपाड़ा में हुआ था। वह ओडिशा के पहले मुख्यमंत्री बने और केंद्र सरकार में वाणिज्य और उद्योग मंत्री के रूप में भी कार्य किया। उनका योगदान आज भी प्रेरणा का स्रोत है। संस्कृति मंत्रालय ने कहा कि महताब ने ओड़िया और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में व्यापक लेखन किया और अपने काम के लिए प्रशंसा प्राप्त की, जिसमें ऐतिहासिक लेख ओडिशा का इतिहास भी शामिल है, इसके अलावा 1983 में ‘गांव मजलिस’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार भी जीता। 1962 में निर्विरोध लोकसभा के लिए चुने जाने से पहले उन्होंने केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री के रूप में कार्य किया।

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