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टेंडर की राशि मिलने से पहले जमा करनी होती है मोटी रकम
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व्यापारियों के लिए मेडिकल पॉलिसी और पेंशन की योजना भी बनाए सरकार
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फ्री योजनाओं का लाभ भी देने की मांग
भुवनेश्वर। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्र सरकार से टेंडरधारकों के लिए टेंडर की प्रक्रियाओं के अनुसार जीएसटी के प्रावधानों को भी निर्धारित करने की मांग की है। यह मांग उन परिपेक्ष्य में उठी है, जहां टेंडर की राशि मिलने से पहले टेंडरधारकों को एक मोटी रकम जीएसटी के रूप में जमा करनी पड़ती है।
राजधानी स्थित एक होटल में मंगलवार देर शाम आयोजित एक कार्यक्रम में कैट के ओडिशा प्रदेश चेयरमैन गोविंद अग्रवाल ने टेंडरधारकों की परेशानियों पर प्रकाश डाल रहे थे।
समारोह को संबोधित करते हुए अग्रवाल ने बताया कि सरकारी नियमों के बावजूद कई बार ऐसी परिस्थितियां बनती है कि टेंडर की शर्तों के पूरा होने में पेमेंट के भुगतान में देरी होती है। चूंकी टेंडर की राशि बड़ी होती है, ऐसी स्थिति में जीएसटी की राशि काफी बड़ी होती है। इसके लिए उन्होंने उदाहरण भी पेश किया कि टेंडर की प्रक्रिया प्रतिस्पर्धी होने के कारण 5-10 फीसदी का लाभ बड़ी मुश्किल से होता है। इसमें अन्य खर्चे भी शामिल होते हैं, लेकिन टेंडर धारक को 18 फीसदी जीएसटी भरनी पड़ती है। यदि तीन महीने के बाद पेमेंट टेंडरधारक को मिलता है, तो जीएसटी 54 फीसदी हो जाती है। ऐसी स्थिति में टेंडरधारकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
गोविंद अग्रवाल ने कहा कि इसलिए सरकार को टेंडर के मामलों के लिए जीएसटी में अलग से प्रावधान किये जाने की जरूरत है।
व्यापारियों को मिले फ्री मेडिकल और पेंशन सुविधा
गोविंद अग्रवाल ने कहा कि व्यापारी देश के जीवन जीता है। व्यापार के जरिए जनता से कर संग्रह करके सरकार के खजाने में जमा करता है, लेकिन विकट परिस्थितियों में उसका कोई साथ नहीं देता है। ऐसी स्थिति में व्यापारियों के लिए कम से कम सरकार फ्री मेडिकल की सुविधा और पेंशन की सुविधा प्रदान करे। उन्होंने व्यापारियों के द्वारा संग्रहित कर से 80 फीसदी लोगों को फ्री सुविधाएं दी जाती हैं, तो आठ फीसदी करदाताओं को यह सुविधाएं क्यों नहीं प्रदान की जा सकती है।
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