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भरतपुर मामले में गठित जांच आयोग की अवधि बढ़ी

  • न्यायिक आयोग को अब 31 जनवरी 2025 तक दिया गया समय

भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार ने भरतपुर पुलिस थाना, भुवनेश्वर में एक सेना अधिकारी और उनकी मंगेतर के साथ हिरासत में हुए कथित उत्पीड़न की जांच कर रहे न्यायिक आयोग की अवधि को बढ़ा दिया है। आयोग की अध्यक्षता सेवानिवृत्त ओडिशा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति चित्तरंजन दास कर रहे हैं।
गृह विभाग द्वारा जारी आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, आयोग को पहले 22 सितंबर को अधिसूचित किया गया था और 60 दिनों के भीतर जांच पूरी करनी थी। यह अवधि 22 नवंबर को समाप्त होने वाली थी, जिसे अब बढ़ाकर 31 जनवरी 2025 कर दिया गया है।
घटना पर देशव्यापी आक्रोश
15 सितंबर की रात घटी इस घटना में सेना के एक कैप्टन और उनकी मंगेतर ने आरोप लगाया था कि वे शिकायत दर्ज कराने भरतपुर थाना पहुंचे थे, जहां ड्यूटी पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने उनके साथ दुर्व्यवहार और शारीरिक व यौन उत्पीड़न किया। इस घटना के बाद देशभर में आक्रोश पैदा हुआ, जिसके चलते ओडिशा सरकार ने समयबद्ध न्यायिक जांच का आदेश दिया।
जांच में प्रगति
न्यायिक आयोग के समक्ष 14 नवंबर को सेना अधिकारी और उनकी मंगेतर पेश हुए। आयोग ने मामले में कुल 16 लोगों को समन जारी किया है। सूत्रों के अनुसार, आयोग ने 500 से अधिक हलफनामों की समीक्षा की है और जल्द ही गवाहों के बयान लेने की प्रक्रिया शुरू करेगा।
न्यायिक आयोग का विस्तार क्यों?
गृह विभाग की अधिसूचना के अनुसार, इस मामले की व्यापक जांच और इससे जुड़े सभी पक्षों को सुनने के लिए आयोग की अवधि बढ़ाना आवश्यक था।
मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी के नेतृत्व वाली सरकार ने इसे प्राथमिकता देते हुए जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया था। अब इस निर्णय के तहत आयोग को विस्तृत समय मिलने से जांच की दिशा में और प्रगति होने की उम्मीद है।

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