-
पवित्र कार्तिक शुक्ल द्वादशी पर भक्तों को किया कृतार्थ, दूर-दूर से उमड़े श्रद्धालु
पुरी। पंचुक के दूसरे दिन पुरी श्रीमंदिर में भगवान जगन्नाथ ने बांकाचूड़ा वेश में भक्तों को दर्शन दिया। पवित्र कार्तिक शुक्ल द्वादशी के इस अवसर पर रत्न सिंघासन पर विराजमान भगवान को इस रूप में देख भक्त आनंदित हुए।
देश के विभिन्न हिस्सों से आए श्रद्धालुओं ने मंदिर के चारों ओर एकत्र होकर भगवान के इस दिव्य स्वरूप के दर्शन किए। पुरी की बड़दांड “हरि बोल” और “जय जगन्नाथ” के जयघोष से गूंज उठी और भक्तों ने लंबी कतारों में धैर्यपूर्वक खड़े होकर भगवान के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त किया।
एक भक्त ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि भगवान के इस दिव्य दर्शन से हम आनंदित हैं। भगवान की कृपा से हमें दर्शन में किसी प्रकार की कठिनाई नहीं हुई।
दूसरे भक्त ने कहा कि भगवान हमेशा कृपालु हैं। मैंने कल भी भगवान के दर्शन किए थे और आज फिर जा रहा हूं। मैं प्रार्थना करता हूं कि भगवान सभी कष्टों को हर लें। कई अन्य भक्तों ने महाप्रभु के दर्शन से अपनी प्रसन्नता व्यक्त की।
क्या है पंचुक?
ओड़िया महीने कार्तिक के आखिरी पांच दिन पंचुक के रूप में मनाए जाते हैं, जो इस बार मंगलवार से आरंभ हुए हैं। इन पांच दिनों में भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहन पांच अलग-अलग वेश धारण करते हैं।
पंचुक के पहले दिन, जिसे बड़ा एकादशी के रूप में जाना जाता है, भगवान लक्ष्मी-नारायण वेश धारण करते हैं। दूसरे दिन यानी द्वादशी पर बांकाचूड़ा वेश में भक्तों को दर्शन दिए।
पंचुक के तीसरे दिन त्रयोदशी पर त्रिविक्रम वेश, चौथे दिन चतुर्दशी पर लक्ष्मी-नरसिंह वेश और पंचुक के आखिरी दिन यानी कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान राजराजेश्वर वेश धारण करते हैं।
Indo Asian Times । Hindi News Portal । इण्डो एशियन टाइम्स,। हिन्दी न्यूज । न रूकेगा, ना झुकेगा।।
