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ओडिशा में जल्द ही खुलेगा सतर्कता फोरेंसिक विज्ञान संस्थान : सीएम मोहन माझी

  • कहा-किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं – मुख्यमंत्री

  • राज्य स्तरीय भ्रष्टाचार निवारण जागरूकता सप्ताह – 2024 की शुरुआत

  • भ्रष्टाचार के मामलों में दोष सिद्धि दर अब 50% से अधिक

  • आय से अधिक संपत्ति के मामलों में दोष सिद्धि दर 80% से अधिक

  • सतर्कता विभाग के लिए 8 नए अतिरिक्त एसपी पद और 24 नए डीएसपी पद बढ़ाए जाएंगे

भुवनेश्वर। ओडिशा में जल्द ही सतर्कता फोरेंसिक विज्ञान संस्थान खुलेगा। आज भुवनेश्वर के लोकसेवा भवन कन्वेंशन हॉल में राज्य स्तरीय भ्रष्टाचार निवारण सप्ताह 2024 के अवसर पर मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए और इसकी घोषणा करते हुए सभी को भ्रष्टाचार के खिलाफ दृढ़ता से लड़ने की शपथ दिलाई।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि भ्रष्टाचार एक भयानक मधुमेह रोग के समान है। भ्रष्टाचार का प्रभाव पहले नजर नहीं आता, लेकिन धीरे-धीरे यह व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर गंभीर नुकसान पहुंचाता है। भारतीय समाज में भ्रष्टाचार का असर कितना गहरा था, यह जानने के लिए हमें रॉकेट साइंस का ज्ञान नहीं चाहिए। इस देश के एक पूर्व प्रधानमंत्री ने स्वयं एक साधारण सभा में कहा था कि जब मैं दिल्ली से एक रुपया भेजता हूं, तो हिताधिकारियों को केवल 15 पैसे ही मिलते हैं। अब सवाल उठता है कि बाकी के 85 पैसे किसकी जेब में जाते थे। इसका जवाब आप सभी जानते है।

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि भ्रष्टाचार निवारण विभाग की आज दोष सिद्धि दर 50% से अधिक और आय से अधिक संपत्ति के मामलों में दोष सिद्धि दर 80% से अधिक है। हमारी सरकार तकनीक, आधारभूत संरचना और मानव संसाधन को बढ़ाकर ओडिशा के सतर्कता विभाग को मजबूत करने के लिए कई कदम उठा रही है। सतर्कता विभाग के लिए 8 नए अतिरिक्त एसपी पद और 24 नए डीएसपी पद बढ़ाए जाएंगे। ये पद विभाग की जांच, निरीक्षण और भ्रष्टाचार मामलों की सुनवाई प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

और अधिकारियों की होगी नियुक्ति

जांच और अनुसंधान में मदद के लिए 16 सब-इंस्पेक्टरों को भी नियुक्त किया जाएगा। इसके साथ ही आने वाले दिनों में विभाग में 24 चार्टर्ड अकाउंटेंट और बैंकिंग व साइबर विशेषज्ञ भी शामिल किए जाएंगे। सतर्कता टीम की गतिशीलता बढ़ाने के लिए 135 नई मोटरसाइकिलें, 150 नए डेस्कटॉप/लैपटॉप भी प्रदान किए जाएंगे। इसके साथ ही राज्य फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला निदेशालय की स्थापना भी की जाएगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद की

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में पहली बार पद संभालने के समय से ही भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद की थी। उस समय विभिन्न भ्रष्टाचार और घोटालों में देश सिर से लेकर पांव तक डूबा हुआ था। आम जनता इस भ्रष्टाचार के बोझ तले कराह रही थी।

2014 में सत्ता की बागडोर संभालने के बाद प्रधानमंत्री ने पहले दिन से ही भ्रष्टाचार के खिलाफ एक महायुद्ध छेड़ दिया था, जो आज भी जारी है। प्रधानमंत्री की भ्रष्टाचार विरोधी कठोर कार्यवाही के बल पर आज दिल्ली से जो भी सहायता राशि हिताधिकारियों के पास पहुंचती है, वह पूरी तरह से उनके खाते में जाती है। प्रधानमंत्री की डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) योजना भ्रष्टाचार को रोकने के लिए एक प्रमुख हथियार है।

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व और मार्गदर्शन से प्रेरित होकर राज्य सरकार भी भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष को शासन का मुख्य लक्ष्य मानकर इसे लेकर शून्य सहनशीलता की नीति अपना रही है।

भ्रष्टाचारियों को कड़ी चेतावनी

भ्रष्टाचारियों को कड़ी चेतावनी देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जैसे कैंसर का इलाज करने के लिए प्रभावित हिस्से को सर्जरी के जरिए निकालना पड़ता है, वैसे ही सभ्य समाज से भ्रष्टाचारियों को बाहर निकालकर जेल भेजने की व्यवस्था है। हमारी सरकार के 140 दिनों के भीतर 6 मुख्य अभियंताओं के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया गया है। उनकी संपत्तियों को जब्त कर कोर्ट में पेश किया गया है। ये सभी आय से अधिक संपत्ति उन्होंने आम जनता के पैसे से अर्जित की थी।

सरकारी धन की लूट मची थी

उन्होंने कहा कि विभिन्न परियोजनाओं के काम निम्न गुणवत्ता के हो रहे थे और सरकारी धन की लूट मची थी। सिर्फ मुख्य अभियंता ही नहीं, बल्कि विभिन्न विभागों के लगभग 20 अधिकारियों को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। अब पुरानी स्थिति नहीं है, आज भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी के लिए यह इतिहास बन चुका है। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई केवल लोकसेवा भवन या राजधानी भुवनेश्वर में सीमित नहीं है, बल्कि इसे जमीनी स्तर तक ले जाने के प्रयास शुरू किए गए हैं।

जिलाधिकारियों को सशक्त किया गया

आज जिला स्तर पर होने वाले भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के लिए जिलाधिकारियों को सशक्त किया गया है। जिला स्तर पर होने वाले भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के लिए उनके हाथ खुले रखे गए हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी सरकार ने दोनों टॉप-डाउन और बॉटम-अप दृष्टिकोण को लागू किया है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में केवल कुछ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई ही पर्याप्त नहीं है। इस अभियान को दीर्घकालिक रूप से चलाना जरूरी है। तभी भ्रष्टाचारियों की नींद उड़ जाएगी और उनके मन में जेल का डर रहेगा। यह उनके लिए एक निवारक साबित होगा। हमारी सरकार सभी स्तरों पर भ्रष्टाचार की संभावना को कम करने के लिए आवश्यक कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य में भ्रष्टाचार की जड़ें मजबूत हो चुकी हैं, इसे एक दिन, महीने या साल में समाप्त नहीं किया जा सकता है। इसके लिए निरंतर संघर्ष जारी रखना होगा।

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