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भारत के स्वतंत्रता संग्राम में शाबित हुआ ऐतिहासिक मील का पत्थर
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नेताजी के साहसिक कदम ने स्वतंत्रता की लड़ाई को दी नई दिशा
भुवनेश्वर। आज आजाद हिंद सरकार की 81वीं वर्षगांठ के अवसर पर पूरे देश में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के अदम्य साहस और दूरदर्शिता को नमन किया गया। 21 अक्टूबर 1943 को सिंगापुर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद सरकार का गठन किया था, जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक नई क्रांति का सूत्रपात किया। इस सरकार ने स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी और ब्रिटिश शासन को खुली चुनौती दी।
नेताजी ने न केवल एक स्वतंत्र सरकार की स्थापना की, बल्कि उन्होंने आजाद हिंद फौज के माध्यम से अंग्रेजों से मुकाबला करने का साहसिक कदम उठाया। इस सरकार का उद्देश्य भारत को औपनिवेशिक शासन से मुक्त कराना था और नेताजी ने इस सपने को साकार करने के लिए एक सशक्त सेना का गठन किया, जिसने भारतीयों में स्वतंत्रता के प्रति असीम उत्साह और जोश भर दिया।
नेताजी का प्रेरक नेतृत्व
आजाद हिंद सरकार का गठन भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। नेताजी ने अपने अद्वितीय नेतृत्व के जरिए न केवल भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर मान्यता दिलाई, बल्कि हजारों भारतीयों को प्रेरित किया कि स्वतंत्रता बिना संघर्ष के संभव नहीं है।
देशभर में नेताजी का सम्मान
आजाद हिंद सरकार की 81वीं वर्षगांठ पर देशभर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के योगदान को श्रद्धांजलि दी गई। इस मौके पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिनमें नेताजी के बलिदान और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को याद किया गया।
आजाद हिंद सरकार और फौज ने यह साबित किया कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम केवल अहिंसा और कूटनीति पर ही निर्भर नहीं था, बल्कि इसका सशस्त्र संघर्ष भी उतना ही महत्वपूर्ण था। नेताजी की दूरदर्शिता और दृढ़ संकल्प ने स्वतंत्रता संग्राम के अंतिम चरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और देश के युवाओं में नई ऊर्जा का संचार किया।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने किया नमन
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आजाद हिंद सरकार की 81वीं वर्षगांठ के अवसर पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस और उनके अदम्य साहस को नमन किया। अपने सोशल मीडिया पोस्ट में प्रधान ने लिखा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में 21 अक्टूबर 1943 को आजाद हिंद सरकार का गठन हुआ, जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित हुआ। यह साहसिक कदम अंग्रेजी शासन के अंत की शुरुआत साबित हुआ। उन्होंने कहा कि यह घटना न केवल इतिहास में दर्ज हुई, बल्कि स्वतंत्रता का एक ऐसा प्रतीक भी बन गई जिसने देश के युवाओं सहित लाखों भारतीयों के दिलों में स्वतंत्रता के प्रति असीम ऊर्जा और उत्साह भर दिया। धर्मेंद्र प्रधान ने आजाद हिंद फौज के स्थापना दिवस पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस और सभी सेनानियों के बलिदान को याद करते हुए कहा कि मैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस सहित सभी वीर सेनानियों को नमन करता हूं, जिन्होंने मां भारती की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।