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पाली, प्राकृत, मराठी, बंगाली और असमिया को मिला है शास्त्रीय भाषा का दर्जा
भुवनेश्वर। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को शास्त्रीय भाषा की मान्यता प्राप्त करनेवाले पांच भाषाओं—पाली, प्राकृत, मराठी, बंगाली और असमिया—के विद्वानों से बातचीत की।
इस बातचीत के बारे में सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी साझा करते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने अपनी खुशी और संतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि विद्वानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने इन भाषाओं को शास्त्रीय भाषाओं की प्रतिष्ठित सूची में शामिल किया। विद्वानों का मानना है कि इस निर्णय से भारत की समृद्ध भाषाई विरासत को बढ़ावा और संरक्षण मिलेगा। इसके साथ ही उन्होंने इन भाषाओं को और समृद्ध करने का संकल्प भी लिया।
प्रधान ने कहा कि हमारी भाषाएं ‘भारतीयता’ की आत्मा हैं और इस बात पर जोर दिया कि सरकार भारतीय भाषाओं में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के उद्देश्यों के अनुरूप भारतीय भाषाओं के प्रसार के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
उन्होंने इस बात को दोहराया कि सरकार मातृभाषा में शिक्षा को प्रोत्साहित करने, बहुभाषावाद को बढ़ावा देने और भारतीय भाषाओं की वैश्विक उपस्थिति को सुदृढ़ करने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रधान ने कहा कि हम अपनी भाषाई विरासत का जश्न मनाने, सम्मान करने और इसे संरक्षित करने के लिए संकल्पित हैं।
यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की भावना के अनुरूप भारतीय भाषाओं को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।