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ओडिशा में एमएसपी बढ़ने के बाद खरीफ धान की खरीद को लेकर सरकार हुई सख्त

  • मुख्यमंत्री ने सभी सीमाओं को सील करने का दिया निर्देश

  • कहा-ओडिशा के किसानों को बिक्री में प्राथमिकता दें

  • धान खरीद में बाहरी किसानों की रोकथाम पर दिया जोर

भुवनेश्वर। राज्य में न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी की घोषणा के बाद खरीफ सीजन के दौरान धान की फसल की कटाई से पहले ओडिशा सरकार ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की, जिसमें मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने धान खरीद प्रक्रिया को लेकर कड़े निर्देश दिए। माझी ने जोर देते हुए कहा कि धान खरीद प्रक्रिया को आधुनिक बनाया जाएगा और सरकार के चुनावी वादों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि ओडिशा के बाजारों में बाहरी राज्यों के किसानों द्वारा धान बेचने से रोकने के लिए विशेष ध्यान दिया जाए। हर मंडी में धान खरीद के समय एक अधिकृत अधिकारी की तैनाती होगी। इसके अलावा, कई मंडियों को मिलाकर जोन बनाए जाएंगे और हर जोन का एक सुपरवाइज़र होगा।

मंत्री करेंगे खरीद प्रक्रिया की निगरानी

उन्होंने कहा कि धान खरीद की पूरी प्रक्रिया की निगरानी के लिए प्रत्येक जिले में एक मंत्री नियुक्त किया जाएगा, जो सुनिश्चित करेगा कि प्रक्रिया में कोई भ्रष्टाचार या पक्षपात न हो। माझी ने कहा कि धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 800 रुपये की अतिरिक्त राशि किसानों को दी जा रही है, जिससे किसानों में बहुत उत्साह है। इसलिए हर मंत्री एक या दो जिलों के पर्यवेक्षक के रूप में जिम्मेदारी लेंगे, ताकि अनाज संग्रहण की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी हो। वे सरकार के लिए वन-पॉइंट-कॉन्टेक्ट के रूप में काम करेंगे। बैठक में लिये गए निर्णय के अनुसार, प्रत्येक मंडी में एक मंडी प्रबंधन अधिकारी होगा और हर चार या पांच मंडियों के लिए एक पर्यवेक्षक होगा।

छोटे किसानों को प्राथमिकता

मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि राज्य के 83.16% पंजीकृत किसान छोटे किसान हैं और उनके लिए धान बिक्री प्रक्रिया को सरल और सुविधाजनक बनाना जिला मजिस्ट्रेटों की जिम्मेदारी होगी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि छोटे किसानों को उनके टोकन की अवधि के बारे में पूरी जानकारी दी जाए और उन्हें प्राथमिकता दी जाए।

चूंकी छोटे किसानों को टोकन की अवधि के बारे में विशेष जानकारी नहीं मिलती है। इसलिए सीएम माझी ने कलेक्टरों को उनके टोकन की अवधि भी बढ़ाने की सलाह दी।

उन्होंने इस संबंध में उन्हें लगातार सूचित करने की सलाह दी, खासकर किसानों के व्हाट्सएप ग्रुप पर। मुख्यमंत्री ने अनाज परीक्षण में पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित करने और अनाज की गुणवत्ता निर्धारित करने के लिए बाजार प्रबंधन अधिकारियों को जवाबदेह बनाने के भी आदेश दिए।

बाहरी धान को आने से रोकें

धान की कीमतों में वृद्धि के कारण राज्य में बाहरी राज्यों से धान आने की संभावना को देखते हुए मुख्यमंत्री ने सीमाओं पर निगरानी के लिए प्रवर्तन दल तैनात करने और सीमा से जुड़े हाईवे पर 24 घंटे की निगरानी की व्यवस्था करने का निर्देश दिया। इसके अलावा, स्वचालित अनाज विश्लेषक का उपयोग बड़े मंडियों में और मैनुअल अनाज विश्लेषक का उपयोग छोटे मंडियों में किया जाएगा।

सीसीटीवी या स्मार्ट कैमरों लगेंगे

यह बात सामने आई कि राज्य में धान की कीमत में बढ़ोतरी के कारण अन्य राज्यों से धान ओडिशा आने की संभावना है। इसलिए जिलाधिकारियों ने सभी सीमावर्ती क्षेत्रों में प्रवर्तन दस्ते की तैनाती की व्यवस्था की है।

इसके अलावा सीमावर्ती राज्यों को जोड़ने वाले राजमार्गों की सीसीटीवी या स्मार्ट कैमरों के माध्यम से 24 घंटे निगरानी सुनिश्चित की जाएगी।

ऑटोमेटिक ग्रेन एनालाइजर की व्यवस्था होगी

इसी तरह अनाज की गुणवत्ता निर्धारित करने के लिए 2,000 बड़ी मंडियों में ऑटोमेटिक ग्रेन एनालाइजर की व्यवस्था की जाएगी, जबकि छोटी मंडियों में मैनुअल ग्रेन एनालाइजर की भी व्यवस्था की जाएगी। सूत्रों ने बताया कि अनाज का निरीक्षण और प्रमाणीकरण करने के लिए प्रत्येक अनाज संग्रहण केंद्र पर क्वालिटी एनालाइजर और क्वालिटी सुपरवाइजर की नियुक्ति की जाएगी। इसके साथ ही मंडियों में होने वाले सभी कार्यक्रमों की निगरानी केंद्रीकृत डैशबोर्ड के माध्यम से की जाएगी। इसके साथ ही क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया की मदद से अनाज संग्रहण की व्यवस्था पर भी नजर रखी जाएगी।

बैठक में मंत्री व वरिष्ठ अधिकारी हुए शामिल

बैठक में उपमुख्यमंत्री कनक वर्धन सिंह देव और पार्वती परिडा, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री सुरेश पुजारी, खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता कल्याण मंत्री कृष्ण चंद्र पात्र, विधि मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन, सहकारिता मंत्री प्रदीप बल सामंत मौजूद थे। इसके अलावा मुख्य सचिव मनोज आहूजा, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त मुख्य सचिव निकुंज बिहारी ढल, पुलिस महानिदेशक वाईबी खुरानिया और कृषि, सहकारिता, खाद्य आपूर्ति, परिवहन एवं अन्य संबंधित विभागों के प्रधान सचिव मौजूद थे। बैठक में सभी जिलों के कलेक्टरों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हिस्सा लिया।

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