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बीजद के वरिष्ठ नेताओं के बयान ने टूट के संकेत दिए
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भाजपा के लिए सुनहरा मौका : अमर सतपथी
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कहा- मेरे बयान को कई नेताओं का मिला समर्थन
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भाजपा के राज्य में बढ़ते प्रभाव की ओर इशारा किया
भुवनेश्वर। ओडिशा में बीजद के नाराज बीजद नेताओं के बयान बीजू जनता दल में बवंडर की आहट की संकेत दे रहे हैं। हाल ही में पूर्व बीजद नेता अमर सतपथी और पूर्व सांसद प्रसन्न पाटसाणी जैसे नेताओं के बयानों से यह संकेत मिल रहा है कि पार्टी में कुछ ठीक नहीं चल रहा है। 2024 चुनाव के बाद उत्पन्न विवाद और विफलताओं के कारण बीजद में दरारें उभर रही हैं। मंगलवार को सतपथी ने ओडिशा के राजनीतिक परिदृश्य में आने वाले दिनों में बड़े बदलावों की संभावना जताई।
बीजद से अलग होने का दावा करते हुए सतपथी ने कहा कि उनके बीजद के सुधार पर दिए गए बयान को कई नेताओं का समर्थन मिला है, लेकिन वे सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि बीजद में सुधार की मेरी टिप्पणी पार्टी के कुछ नेताओं को पसंद नहीं आई।
उन्होंने आगे कहा कि मुझे नहीं पता कि पार्टी अब कौन से कदम उठाएगी। कई नेता मुझसे संपर्क में हैं, लेकिन वे खुलकर सामने नहीं आ रहे। मैं अब बीजद में नहीं हूं, इसलिए इस पर ज्यादा टिप्पणी नहीं कर सकता। हालांकि, भाजपा ने स्थिति का फायदा उठाया है और 20 लोकसभा सीटें जीतीं, जो किसी ने नहीं सोचा था।
सतपथी के अनुसार, बीजद ने ओड़िया अस्मिता का मुद्दा उठाया था, जो बाद में भाजपा के लिए चुनाव में राज्य में तेजी से अपनी पैठ बनाने का हथियार बन गया। लोगों ने भी इस चुनावी मुद्दे पर भाजपा का समर्थन किया।
भविष्य में कई बड़े बदलाव की संभावना
सतपथी ने कहा कि ओडिशा के राजनीतिक परिदृश्य में निकट भविष्य में कई बड़े बदलाव होने की संभावना है और भाजपा के विस्तार के लिए मंच तैयार है। हालांकि खबर लिखे जाने तक बीजद की ओर से सतपथी के बयानों पर कोई टिप्पणी नहीं की गई थी।
वीके पांडियन की वजह पार्टी छोड़ी – प्रसन्न
बीजद छोड़ने के अपने फैसले के बारे में चौंकाने वाला खुलासा करते हुए पूर्व सांसद प्रसन्न पाटसाणी ने मंगलवार को कहा कि वीके पांडियन की वजह से ही मैंने पार्टी छोड़ी है थी और उनकी वजह से एक लोकप्रिय सरकार सत्ता से बाहर हो गई। जब मेरे जैसा व्यक्ति जो संस्थापक सदस्य था, पार्टी छोड़ता है तो दुख होता है। छोड़ने के बाद मैं भाजपा में शामिल हो गया।
बीजेडी में अभी भी पांडियन का प्रभाव
पूर्व सांसद प्रसन्न पाटसाणी ने आज यह भी सवाल किया कि वीके पांडियन की सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा का क्या हुआ। चुनाव में हार के बाद पांडियन ने सक्रिय राजनीति छोड़ने की घोषणा की थी। हालांकि, पूर्व सांसद ने कहा कि बीजेडी में अभी भी पांडियन का प्रभाव है। पाटसाणी ने आगे कहा कि जब तक वीके पांडियन पार्टी से जुड़े रहेंगे, बीजद सत्ता में नहीं आ सकती।