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कहा-सभी को मिलेगा सुनवाई का अवसर और शपथ पत्र दाखिल करने के लिए समय
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आवश्यक बुनियादी ढांचे और कार्यालय स्टाफ की व्यवस्था हुई तो एक सप्ताह में शुरू होगी जांच की प्रक्रिया
भुवनेश्वर। भरतपुर पुलिस स्टेशन में सेना के अधिकारी और उनकी मंगेतर के साथ कथित अत्याचार और यौन उत्पीड़न का मामला एक बड़े विवाद में तब्दील हो गया है। इस मुद्दे पर गठित न्यायिक जांच आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति चित्तरंजन दाश ने कहा कि यह जांच आयोग की जांच अधिनियम के तहत की जाएगी। उन्होंने बताया कि जांच की प्रक्रिया राज्य सरकार द्वारा संदर्भ पत्र मिलने के बाद ही शुरू होगी। सभी पक्षों को न्याय सुनिश्चित करने के लिए मुद्दों को तय किया जाएगा, चाहे वह रोड रेज हो, सेना अधिकारी, उनकी मंगेतर या पुलिस अधिकारी हों। सभी को सुनवाई का अवसर मिलेगा और शपथ पत्र दाखिल करने के लिए समय दिया जाएगा।
न्यायमूर्ति दाश ने आगे कहा कि जांच एक सप्ताह के भीतर शुरू हो सकती है, बशर्ते राज्य सरकार आवश्यक बुनियादी ढांचे और कार्यालय स्टाफ की व्यवस्था करे। एक बार प्रारूप तैयार हो जाने के बाद राज्य सरकार और आयोग वकीलों की नियुक्ति करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि जांच पूरी तरह निष्पक्ष होगी।
अपराध शाखा की जांच जारी रहेगी
न्यायमूर्ति दाश ने कहा कि न्यायिक जांच तथ्य ढूंढने की प्रक्रिया होती है, जिसमें घटना के दोषी की पहचान और घटना की उत्पत्ति की जांच की जाती है, जबकि अपराध शाखा की जांच एक अलग प्रक्रिया है जो समानांतर रूप से जारी रहेगी।
60 दिनों में रिपोर्ट सौंपना संभव
न्यायमूर्ति दाश ने कहा कि 60 दिनों में रिपोर्ट जमा करना संभव है यदि सभी का सहयोग मिलता है। आयोग के अनुसार, शपथ पत्रों की जांच के बाद रिपोर्ट समय पर प्रस्तुत की जा सकेगी।
जांच के बाद वायरल वीडियो पर टिप्पणी
भरतपुर मामले से संबंधित सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे कई वीडियो के बारे में न्यायमूर्ति दाश ने कहा कि वीडियो इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य हैं और इन्हें नकली भी बनाया जा सकता है। हमारी जांच शुरू होने के बाद ही इस पर टिप्पणी करना उचित होगा।