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जो बिना रिटर्न गिफ्ट लिए प्रेम करता है, वह होता है दिव्य प्रेम
स्वामी गिरीशानंद महाराज ने कहा कि भगवान कृष्ण ने गोपियों के संग जो महारास किया था, वह मानवीय लीला नहीं ईश्वरीय लीला है। भगवान कृष्ण परमात्मा हैं, तो गोपियां जीवात्मा हैं। सारा संसार श्रीकृष्ण को याद करता है, पर भगवान कृष्ण गोपियों को याद करते हैं। सोचिए गोपियों का जीवन कितना दिव्य और पवित्र होगा। गोपियों का जीना और मरना कृष्ण के लिए था। महारास के समय जब गोपियों को इस बात का अभिमान हो गया कि मेरे सौन्दर्य के चलते महारास हो रहा है, तो कृष्ण अचानक गायब हो गए।
अग्रवाल परिवार के तत्वावधान में श्रीमद्भागवत कथा पर प्रवचन करते हुए स्वामी गिरीशानंद सरस्वती महाराज ने कृष्ण होटल, सी साइट के सभागार में कहा कि जब गोपियों को इस बात का पता चला तो कृष्ण के वियोग में रोने लगीं। अंत में किशोरी जी के संग कृष्ण को पुकारने लगीं। वही गोपी गीत बना। अंत में गोपियों के समर्पण प्रेम को देखकर पुन: भगवान कृष्ण महारास में प्रकट हुए। भगवान के मार्ग में अभिमान बाधक होता है। भगवान कृष्ण ने गोपियों के पूछने पर कहा कि जो प्रेम के बदले प्रेम करे उसे व्यवहार कहते हैं। जो बिना रिटर्न गिफ्ट लिए प्रेम करता है, जैसा माता, पिता, गुरु करता है, वह दिव्य प्रेम होता है। अंत में भगवान कृष्ण गोपियों से कहते हैं, अरे! तुम्हारा निश्छल प्रेम है। यह महारास न करता, तो तुम्हारे अंदर माखन रूपी मेरा प्रेम है, वह कैसे प्रकट होता। महारास दिव्य प्रेम लीला है। महारास प्रसंग को सुनने से हृदय की कामनाएं समस्त समाप्त हो जाती हैं और हृदय में दिव्य कृष्ण-प्रेम प्रकट हो जाता है।
कथा के दौरान धूमधाम से भगवान कृष्ण का रुक्मणी के संग विवाह संपन्न हुआ। श्रद्धालुओं का स्वागत मंजू-राम किशन अग्रवाल, सीमा-राज किशोर अग्रवाल, निर्मला-सुरेश अग्रवाल, सीमा-बद्री अग्रवाल, सरिता-नरेश अग्रवाल व सुनीता-गिरिधारी अग्रवाल ने किया। इस अवसर पर विशेष रूप से रामकथा वाचक पुरुषोत्तम तिवारी (कोलकाता) मौजूद रहे।
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