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स्टार्टअप ओडिशा की पहलुओं के अध्ययन को पैनल गठित

  • मोहन माझी सरकार ने स्टार्टअप ओडिशा की जांच का निर्देश दिया

भुवनेश्वर। ओडिशा में मोहन माझी सरकार ने स्टार्टअप ओडिशा की विभिन्न पहलुओं पर गौर करने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। एमएसएमई विभाग द्वारा जारी एक आधिकारिक अधिसूचना में कहा गया है कि उद्योग निदेशक की अध्यक्षता वाले इस पैनल में वित्त विभाग के अतिरिक्त सचिव/संयुक्त सचिव और सार्वजनिक उद्यम विभाग के अतिरिक्त सचिव/संयुक्त सचिव शामिल हैं। समिति राज्य के भीतर और बाहर स्टार्टअप्स को वित्तीय अनुदान, विभिन्न निजी संस्थानों को इनक्यूबेटर बताते हुए उन्हें धन वितरण/अनुदान, परियोजना प्रबंधन सलाहकारों का आउटपुट, परियोजना अधिकारियों के एनपीएस और ईपीएफ का योगदान और बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा कार्यालय स्थान के उपयोग की जांच करेगी। समिति को 21 अगस्त तक रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।

जुलाई में सरकार ने स्टार्टअप ओडिशा अधिकारियों की वित्तीय शक्तियों को प्रतिबंधित कर दिया था, जब एमएसएमई मंत्री गोकुलानंद मल्लिक ने अनियमितताओं और लापरवाही के आरोपों के बीच राज्य के पहले केंद्रीकृत इनक्यूबेशन केंद्र ओ-हब का दौरा किया था। इसके बाद कार्यकारी अध्यक्ष और निदेशक मंडल की वित्तीय शक्ति पर क्रमशः 1 करोड़ रुपये और 10 लाख रुपये की सीमा तय की गई थी।

व्यय की शक्ति

अधिसूचना में कहा गया है कि विभाग, जो स्टार्टअप ओडिशा का 100 प्रतिशत शेयरधारक है, के पास योजनाबद्ध, गैर-योजनाबद्ध, आवर्ती, गैर-आवर्ती, राजस्व और पूंजी सहित किसी भी प्रकार के व्यय को मंजूरी देने और खर्च करने की पूरी शक्ति है।

स्टार्टअप ओडिशा का शुभारंभ

स्टार्टअप ओडिशा को 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली बीजद सरकार द्वारा 2025 तक राज्य में 5,000 स्टार्टअप को समर्थन देने के लिए लॉन्च किया गया था।

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