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ओडिशा में ताड़ के पेड़ काटने पर लगी रोक

  • काटने से पहले ओडिशा वन विभाग से अनुमति अनिवार्य

  • ताड़ पेड़ काटने की छूट को विभाग ने वापस लिया

भुवनेश्वर। ओडिशा में ताड़ के पेड़ को काटने पर रोक लगा दी गयी है। इसको काटने के लिए मिली छूट को वापस ले लिया गया है। इस पेड़ को काटने के लिए अब वन विभाग की अनुमति लेनी होगी। इससे ओडिशा में ताड़ का पेड़ काटना अब महंगा पड़ेगा। अगर ताड़ के पेड़ों को काटना चाहते हैं, तो पहले दो बार जरूर सोचें। यह पेड़ आपके अपने घर के पिछवाड़े से ही क्यों न हो, इसे काटने पर आप कानूनी कार्रवाई का सामना कर सकते हैं।

जानकारी के अनुसार, ओडिशा में बिजली गिरने से होने वाली मौतों के बढ़ते मामलों को देखते हुए वन विभाग ने यह फैसला लिया है। बताया गया है कि ताड़ के पेड़ के छूट वाली प्रजाति में शामिल होने के कारण इन पेड़ों की कटाई बड़े पैमाने पर हो रही थी। चूंकि ताड़ के पेड़ों के गायब होने से राज्य में बिजली गिरने की बढ़ती घटनाएं बढ़ीं हैं। इसलिए विभाग ने छूट वापस लेने और इस साल 19 लाख ताड़ के पेड़ लगाने का फैसला किया है।

बताया गया है कि 52 प्रभागों में प्रत्येक वन खंड के सीमा स्तंभ के चारों ओर चार पेड़ लगाए जाएंगे। इसके लिए एसआरसी 7.5 करोड़ रुपये खर्च करेगा।

बिजली से होने वाली दुर्घटनाओं को कम करने के अलावा, अधिक ताड़ के पेड़ हाथियों की खाद्य समस्याओं को हल करने और वन विभाग के सीमा स्तंभों को मजबूत करने में मदद करेंगे। यह भी पता चला है कि एसआरसी ने कृषि विभाग को ताड़ के पेड़ लगाने की पहल करने का निर्देश दिया है।

पीसीसीएफ देवीदत्त बिस्वाल ने कहा कि अब तक ताड़ के पेड़ों को छूट वाली प्रजाति माना जाता था। उन्हें काटने के लिए किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं थी। इस वजह से, सड़क किनारे लगे सभी ताड़ के पेड़ गायब हो गए हैं। इसलिए हमने छूट वापस ले ली है। इसका मतलब है कि ताड़ के पेड़ को काटने के लिए वन विभाग से अनुमति लेनी होगी, भले ही वह उसका मालिक ही क्यों न हो। अगर वे बिना अनुमति के इसे काटते हैं, तो कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। साल या सागौन के पेड़ों को काटने के लिए जो कानूनी प्रावधान हैं, वे ताड़ के पेड़ों पर भी लागू होते हैं

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