भुवनेश्वर। ओड़िया पढ़-लिख न पाने के कारण एक महिला सरपंच को अपना पद गंवाना पड़ा। यह घटना भद्रक जिले के धामनगर ब्लॉक के बयांगडीही पंचायत की है। खबरों के मुताबिक, कुंतला मल्लिक पिछले पंचायत चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार भारती बेहरा को हराकर सरपंच चुनी गईं थीं। इसके बाद, भारती ने कुंतला के खिलाफ धामनगर अदालत का रुख किया और कहा कि कुंतला ओड़िया पढ़ने या लिखने में सक्षम नहीं है। मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने जिला कलेक्टर को सरपंच पद को अमान्य करने का निर्देश दिया। हालांकि कुंतला ने निचली अदालत के निर्देश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में अपील की, लेकिन वह खुद को ओड़िया में साक्षर साबित नहीं कर सकीं। भद्रक उपजिलाधिकारी मोनज पात्र के पत्र पर कार्रवाई करते हुए नायब सरपंच प्रदीप कुमार बारिक ने बयांगडीही पंचायत के सरपंच के रूप में कार्यभार संभाला। पीईओ ने उन्हें शपथ दिलाई। इसके बाद भी कुंतला ने अपना पद नहीं छोड़ा। आखिरकार उपजिलाधिकारी के निर्देश के बाद धामनगर बीडीओ ने उनके आवास के सामने नोटिस लगा दी और प्रदीप को सरपंच की जिम्मेदारी सौंप दी। संपर्क करने पर कुंतला ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
बारिक ने कहा उपजिलाधिकारी के निर्देश का पालन करते हुए मैं सरपंच के कर्तव्यों का निर्वहन कर रहा हूं। पिछले सरपंच के पास शैक्षणिक योग्यता का अभाव है। दिशानिर्देशों के अनुसार, एक सरपंच उम्मीदवार को साक्षर होना चाहिए और उसे ओड़िया पढ़ने और लिखने में सक्षम होना चाहिए, लेकिन निर्वाचित महिला सरपंच न तो ओड़िया पढ़ सकती है और न ही लिख सकती है। भारती बेहरा के रिश्तेदार अनंत कुमार बेहरा ने कहा कि उन्होंने झूठा हलफनामा दाखिल किया था।