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स्नान पूर्णिमा के महाप्रभु जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा ने दिये गजानन वेश में दर्शन

  • पुरी श्रीमंदिर में स्नान वेदी पर चतुर्धा मूर्तियों का हुआ स्नान

  • स्वर्ण कुएं से लाए गए 108 घड़ों के सुगंधित दिव्य जल से कराया गया स्नान

पुरी। पुरी स्थित श्रीमंदिर में महाप्रभु श्री जगन्नाथ, देव बलभद्र और देवी सुभद्रा ने स्नान पूर्णिमा की नीतियों के बाद गजानन वेश में भक्तों को दर्शन दिये। इससे पहले कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच स्नान पूर्णिमा की नीतियां संपन्न हुईं।

पवित्र देवस्नान पूर्णिमा के अवसर पर आज भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, देवी सुभद्रा व सुदर्शन की चतुर्धा मूर्ति रत्न वेदी से पहंडी के जरिये स्नान वेदी पहुंचे। इसके बाद स्वर्ण कुएं से 108 घड़ों से लाए गए सुगंधित दिव्य जल के उन्हें स्नान कराया गया।

भगवान जगन्नाथ को 35 घड़े, बलभद्र को 33 घड़े, देवी सुभद्रा को 22 घड़े और भगवान सुदर्शन को 18 घड़े पानी से स्नान कराया गया। वैदिक मंत्रों के उच्चारण, कीर्तन, घंटियों और शंख की ध्वनि के बीच उन्हें स्नान कराया गया। इसके बाद भगवान जगन्नाथ के पहले सेवक पुरी राजा गजपति दिव्य सिंहदेव ने स्नान वेदी पर छेरा पहँरा अनुष्ठान संपन्न किया।

महाप्रभु के दिव्य स्नान को देखने के लिए श्रीक्षेत्र पुरी में लाखों श्रद्धालु पहुंचे थे। हल्की-हल्की बूंदाबांदी के बीच महाप्रभु के दर्शन के लिए भीड़ उमड़ी थी।

इससे पहले आज सुबह 5.10 बजे मंगलार्पण, 5.15 पर पुष्पांजलि, 5.20 के बाद पहंडी की नीति शुरु हुई। पहंडी सुबह 7.45 पर संपन्न हुई। 8.15 बजे पर मदन मोहन बिजे, 8.35 पर स्नानवेदी पर मंगल आरती, 8.40 पर मइलम व सुबह 9 बजे तड़प लागी नीति संपन्न हुई। इन नीति कांति के संपन्न होने के बाद 10.30 पर सूर्यपूजा व 10.50 पर द्वारपाल पूजा संपन्न हुई।

इसके बद सेवकों ने स्वर्ण कुएं से लाए गए सुगंधित दिव्य जल से उन्हें स्नान कराया। दइतापति व गरबाड़ू सेवायतों ने विधि पूर्वक इस विधि को संपन्न किया। इस विधि के समाप्त होने के बाद महाप्रभु ने गजानन भेष में भक्तों को दर्शन दिया।

क्यों होता है गजानन भेष

बताया जाता है कि महाराष्ट्र के एक श्रद्धालु ने महाप्रभु के गजानन भेष दर्शन करना चाहते थे, लेकिन उन्हें यह दर्शन न मिलने के बाद वह निराश हुए। इसके बाद स्नान वेदी पर महाप्रभु के हाथी भेष करने के लिए शून्यवाणी हुई। इसके बाद से ही स्नान वेदी पर भगवान हाथी भेष, जिसे गज वेश, गजानन वेश भी कहा जाता है, में श्रद्धालुओं को दर्शन देते हैं।

सुरक्षा के कड़े प्रबंध

देव स्नान पूर्णिमा को ध्यान में रखकर पुलिस व प्रशासन द्वारा सुरक्षा के कड़े प्रबंध किये गये थे। इस पवित्र तिथि में भगवान के दर्शन करने के लिए पुरी में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ एकत्रित होने की संभावना को ध्यान में रखकर मंदिर के भीतर व बाहर सुरक्षा के कड़े प्रबंध किये गये थे।

भक्तों पर सीसीटीवी की निगरानी रखी गई थी। श्रीमंदिर के बाहर व भीतर तथा ट्रैफिक के नियंत्रण के लिए कुल 68 प्लाटून पुलिस बल तैनात किया गया था। विश्वास है कि महाप्रभु को स्नान वेदी पर दर्शन करने पर महापुण्य प्राप्त होता है।

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