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मुख्यमंत्री मोहन माझी एक्शन मोड में

  • पहले 100 दिनों में किए जाने वाले कार्यों का खाका हो रहा है तैयार

  • अव्यवस्थाओं के बीच कामकाज पर कोई प्रभाव नहीं

  • स्थायी सीएमओ नहीं होने पर अस्थायी सीएमओ से ही चला रहे हैं काम

भुवनेश्वर। ओडिशा के नये मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी एक्शन मोड में आ गये हैं। राज्य में पहले से व्याप्त अव्यवस्थाओं का काम पर कोई प्रभाव नहीं दिख रहा है। यहां तक की सीएमओ नाम मात्र होने के कारण वह अस्थायी सीएमओ से काम चला हैं।

मोहन के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने बुधवार को शपथ लेने के बाद से ही काम करना शुरू कर दिया है। यहां लोक सेवा भवन में पहली कैबिनेट बैठक में चार फैसले लिये गए और इसके तुरंत बाद सीएम ने स्टेट गेस्ट हाउस से कामकाज शुरू कर दिया। पहले 100 दिनों में किए जाने वाले कार्यों का खाका भी तैयार किया जा रहा है।

50 वर्षों से लटके कार्यों को 5 वर्षों में पूरा करने का वादा

ओडिशा की ‘अस्मिता’ की रक्षा को अपनी सरकार की प्राथमिकता बताते हुए सीएम ने राज्य के लोगों तक पहुंचने और 50 वर्षों से लटके कार्यों को 5 वर्षों में पूरा करने का वादा किया है। अगले महीने विधानसभा में पेश किए जाने वाले वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पूर्ण बजट में भाजपा के 21 चुनावी वादों को भी शामिल किया जा सकता है। भाजपा ने पहले दो वर्षों में 65,000 पदों सहित 1.5 लाख सरकारी रिक्तियों को भरने का वादा किया है, साथ ही प्रत्येक को 5,000 रुपये देने का वादा किया है।

पहला वादा हो चुका है पूरा

सरकार ने पुरी में श्री जगन्नाथ मंदिर के सभी चार द्वार खोलने का फैसला करके चुनाव के दौरान किए गए एक महत्वपूर्ण वादे को पूरा कर दिया है। कोविद महामारी के बाद से द्वार बंद थे और भक्तों को सिंहद्वार पर लंबी कतारों में खड़े होकर देवों के दर्शन करने के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था।

माझी ने कहा कि लंबे समय से तीन द्वार बंद होने के कारण भक्तों को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था। इससे भक्तों और भगवान के बीच दूरी पैदा हो रही थी। चार द्वार खुलने से मंदिर में भक्तों का आना-जाना सुचारू हो जाएगा। मंदिर के पहले दैनिक अनुष्ठान ‘मंगला आलती’ के बाद गुरुवार को सीएम और उनके कैबिनेट मंत्रियों, विधायकों और पुरी के सांसद संबित पात्रा की मौजूदगी में चारों द्वार खोले गए। सरकार ने 12वीं सदी के मंदिर की तत्काल आवश्यकता के लिए 500 करोड़ रुपये के एक कोष की स्थापना को भी मंजूरी दी।

100 दिनों में सुभद्रा योजना भी होगी लागू

बताया गया है कि नई सरकार अपने पहले 100 दिनों में केंद्र प्रायोजित सुभद्रा योजना को भी लागू करेगी, जिसके तहत प्रत्येक महिला लाभार्थी को 50,000 रुपये का नकद वाउचर प्रदान किया जाएगा और इसे दो वर्षों में भुनाया जा सकता है। सीएम ने कहा कि विभागों को योजना के कार्यान्वयन के लिए दिशा-निर्देश और रोडमैप तैयार करने के लिए कहा गया है। उन्होंने पिछली बीजद सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि वह महिला सशक्तिकरण और बच्चों के कल्याण में विफल रही है।

किसानों से महिलाओं तक फोकस

कैबिनेट ने ‘समृद्ध कृषक नीति’ (किसानों के लिए व्यापक नीति) तैयार करने और धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाकर 3,100 रुपये प्रति क्विंटल करने के प्रस्ताव पर सिफारिशें देने के लिए एक समिति बनाने का भी फैसला किया, जो भाजपा का एक और चुनावी वादा है। कृषि विभाग को अगले 100 दिनों के भीतर इसके लिए दिशानिर्देश और एक विस्तृत कार्य योजना तैयार करने और विचार और अनुमोदन के लिए सरकार को प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।

बताया जाता है कि जब तक केंद्र 917 रुपये की बढ़ोतरी को वहन करने के लिए सहमत नहीं होता, तब तक राज्य सरकार को इसे अपने खजाने से खर्च करना होगा।

चार साल बाद पत्रकारों के लिए खुला सचिवालय

भाजपा सरकार ने सत्ता में आने के पहले ही दिन राज्य प्रशासन के केंद्र लोक सेवा भवन के द्वार मीडियाकर्मियों के लिए खोल दिए। लगभग चार साल तक सचिवालय पत्रकारों के लिए बंद रहा था, क्योंकि नवीन पटनायक सरकार ने कोविद महामारी के दौरान उनके प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था। कोविद का कहर कम होने के बाद भी पिछली बीजद सरकार ने विपक्षी नेताओं और पत्रकार संघों की मांग के बावजूद उनके प्रवेश पर प्रतिबंध हटाने से इनकार कर दिया, जिसे चौथे स्तंभ को दबाने की कोशिश के रूप में देखा गया। भाजपा ने चुनाव प्रचार के दौरान इसे चुनावी मुद्दा बनाया था और वादा किया था कि सत्ता में आने पर वह इस अलोकतांत्रिक प्रथा को खत्म कर देगी।

स्थायी सीएमओ के लिए इंतजार नहीं

पदभार संभालने के दूसरे दिन माझी ने स्टेट गेस्ट हाउस में अस्थायी सीएमओ से काम करना शुरू कर दिया, जबकि लोक सेवा भवन की तीसरी मंजिल पर सीएमओ तैयार किया जा रहा है। उन्होंने भाजपा सरकार द्वारा अपने पहले 100 दिनों में लिए जाने वाले फैसलों पर चर्चा के लिए कई वरिष्ठ अधिकारियों को बुलाया। उन्होंने आवास एवं शहरी विकास विभाग के अधिकारियों के साथ एक अलग बैठक की। उन्होंने संबंधित सचिवों के साथ आगामी विधानसभा सत्र के बारे में भी चर्चा की।

अधिकारियों की अकुशलता पर खिंचाई

खबर है कि मुख्यमंत्री ने विभिन्न विभागों के कामकाज की समीक्षा की और कथित तौर पर ‘अकुशल’ प्रशासनिक तंत्र के लिए अधिकारियों को फटकार लगाई। उन्होंने राज्य में बिगड़ती प्रशासनिक व्यवस्था पर स्पष्टीकरण भी मांगा।

नौकरशाही में बड़ा फेरबदल संभव

अनुमान लगाया जा रहा है कि काम को सुचारू बनाने के लिए नौकरशाही में बड़ा फेरबदल हो सकता है। शुक्रवार को माझी ने शीर्ष अधिकारियों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता भी की, जिसके दौरान मुख्य सचिव प्रदीप जेना ने ओडिशा के समग्र विकास, आर्थिक स्थिति, चल रही कल्याणकारी योजनाओं, निवेश प्रस्तावों, आगामी परियोजनाओं और चुनौतियों पर एक प्रस्तुति दी।

अभी बहुत कुछ करना है

माझी के व्यवहार और जनता तथा मीडिया के साथ बातचीत में भी उनके दृष्टिकोण में बदलाव का संकेत मिलता है, जो शासन में बेहतर पहुंच, पारदर्शिता और जवाबदेही का संकेत देता है। बीजद सरकार की आलोचना ‘प्रशासन को आउटसोर्स करने’ के लिए की गई, जिसमें पूरी शक्ति एक गुट द्वारा हड़पी गई।

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