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नवीन पटनायक दोनों सीट पर कर रहे हैं प्रवासन के मुद्दे का सामना

  • दोनों क्षेत्रों में नौकरियों के अवसर की कमी कई वर्षों से एक बड़ी समस्या

हिंजिलि/कांटाबांजी। ओडिशा में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की उम्मीदवारी वाली हिंजिलि और कांटाबांजी विधानसभा सीट एक-दूसरे से करीब 350 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं, लेकिन दोनों क्षेत्रों में प्रवासन की एक जैसी समस्या है। हालांकि, स्थानीय मतदाता बुनियादी ढांचा विकास के बारे में बात करते हैं, लेकिन नौकरियों के अवसर की कमी दोनों ग्रामीण क्षेत्रों के लिए कई वर्षों से एक बड़ी समस्या है।

इन दोनों निर्वाचन क्षेत्रों से लोगों के प्रवास करने पर कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है, लेकिन अनाधिकारिक अनुमानों और राजनेता के अनुसार, हिंजिलि और कांटाबांजी से एक लाख से अधिक लोग रोजगार की तलाश में गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और अन्य राज्यों में गए हैं।

कांटाबांजी ओडिशा के पश्चिमी क्षेत्र में है, जबकि हिंजिलि राज्य के दक्षिणी इलाके में है।

पटनायक पश्चिमी ओडिशा के बलांगीर जिला स्थित कांटाबांजी विधानसभा सीट से भी चुनाव लड़ रहे हैं। यह दूसरा मौका है जब पटनायक दो विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। पटनायक ने इससे पहले 2019 में पश्चिमी ओडिशा की विधानसभा सीट बिजेपुर के साथ हिंजिलि से चुनाव लड़ा था। वह दोनों सीट से जीते थे। हालांकि, उन्होंने लोगों के आग्रह पर हिंजिलि सीट अपने पास ही रखी।

हिंजिलि से प्रवासी श्रमिक सूरत के विभिन्न कपड़ा मिल में काम करते हैं, जबकि कांटाबांजी के लोग आंध्र प्रदेश या तेलंगाना के ईंट भट्ठों में दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते हैं। मुख्यमंत्री के खिलाफ कांटाबांजी से चुनाव लड़ रहे मौजूदा कांग्रेस विधायक संतोष सिंह सलुजा ने पूछा कि क्या पटनायक प्रवासन रोकने का कांटाबांजी के लोगों को आश्वासन दे सकते हैं। सलुजा इस सीट से चार बार (1995, 2000, 2009 और 2019 में) निर्वाचित हुए हैं। उन्होंने कहा कि बीजद सरकार इलाके में एक भी उद्योग स्थापित करने में नाकाम रही है।

हालांकि, राज्य में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजद) ने दावा किया कि ओडिशा से बाहर प्रवास करने की दर में काफी कमी आई है। इन प्रवासी श्रमिकों की अब यहां अधिक मांग है, क्योंकि राजनीतिक दल ओडिशा के चुनावों में उनसे मतदान कराने के लिए उन्हें उनके घर वापस ला रहे हैं।

प्रवासी श्रमिक को मिल रहा किराया

एक प्रवासी श्रमिक संतोष गौड़ा (35) ने भाषा से कहा कि हमें गुजरात के सूरत से लौटना पड़ा, ताकि हिंजिलि में मतदान कर सकें, क्योंकि हमारा परिवार यहां रहता है। हमारे मतदान नहीं करने पर स्थानीय सरपंच हमें मुफ्त चावल या अन्य सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित कर सकते हैं। गौड़ा ने कहा कि प्रत्येक प्रवासी श्रमिक को ट्रेन का किराया और यात्रा के दौरान भोजन के लिए 500 रुपया अदा किया जा रहा है, ताकि वे अपने गांव लौटकर मतदान कर सकें। उन्होंने कहा कि बीजद, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस ने चुनावों में अपना वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए यह रुख अपनाया है। पटनायक 2000 से हिंजिलि विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

प्रवासन की मूलभूत समस्या का समाधान नहीं

हिंजिलि निर्वाचन क्षेत्र के तहत आने वाले शेरगड़ा इलाके की बिलासिनी बेहेरा ने कहा कि हमें गर्व है कि हमारे विधायक ओडिशा के मुख्यमंत्री हैं। पिछले 24 वर्षों में, उन्होंने बुनियादी ढांचे का विकास किया है, लेकिन प्रवासन की मूलभूत समस्या का समाधान नहीं किया। यदि यहां पर्याप्त कार्य किया गया होता तो लोगों को नौकरी की तलाश में अन्य राज्य में क्यों जाना पड़ता।

भाजपा ने किसानों की समस्याएं गिनाईं

पटनायक के खिलाफ चुनाव लड़ रहे भाजपा उम्मीदवार शिशिर मिश्र ने कहा कि हिंजिलि मूल रूप से एक कृषि अर्थव्यवस्था वाला क्षेत्र है, जहां के बाशिंदे मुख्य रूप से सब्जियां उपजाते हैं, लेकिन शीत भंडार गृहों के अभाव के चलते उन्हें अपनी उपज औने-पौने दाम पर बेचनी पड़ती है। पटनायक, हिंजिलि से लगातार छठी बार निर्वाचित होने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं।

हिंजिलि सीट पर कुल 10 उम्मीदवार

कांग्रेस ने बीजद प्रमुख के खिलाफ रजनीकांत पाधी को उम्मीदवार बनाया है। आस्का लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाले हिंजिलि सीट पर कुल 10 उम्मीदवार हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला बीजद और भाजपा के बीच होने की संभावना है। पटनायक के करीबी सहयोगी एवं बीजद नेता वीके पांडियन ने कहा कि आप आईएलओ (अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन) और यहां तक कि भारत सरकार के आंकड़े देख सकते हैं। प्रवासन की दर ओडिशा में तेजी से घटी है। नवीन बाबू सभी उपाय कर रहे हैं। हमारे यहां देश का सबसे बड़ा कौशल विकास कार्यक्रम है। विश्व कौशल केंद्र यहां ओडिशा में है।

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