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पुरी रथयात्रा के लिए रथों का निर्माण शुरू
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महाप्रभु की श्री जगन्नाथ की चंदन यात्रा शुरू
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मोदी, नवीन अन्य नेताओं ने दी शुभकामनाएं
भुवनेश्वर। ओडिशा का लोकप्रिय कृषि त्योहार ‘अक्षय तृतीया’ आज पूरे प्रदेश में सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार मनाया गया। राज्यभर में किसानों ने पारंपरिक ‘अखी मुथी अनुकुल’ की परंपरा का पालन किया। किसनों ने अपने खेतों की जुताई के बाद धान के बीज रोपा और रस्म निभाया।
सदियों पुराने रीति-रिवाजों के अनुसार, किसान त्योहार को ‘सिद्धि और शुद्धि दिवस’ के रूप में मनाते हैं। वे नए कपड़े पहनते हैं, बीजों की एक टोकरी लेकर खेतों में जाते हैं और उन्हें अपने खेतों में बोते हैं। इन बीजों को देवी लक्ष्मी के प्रसाद के रूप में जाना जाता है, जिनके बारे में मान्यता है कि इससे भरपूर फसल मिलती है।
पौराणिक कथा के अनुसार, ‘अक्षय’ शब्द का अर्थ कुछ ऐसा है जो कभी कम या क्षति नहीं होती है और इसीलिए यह माना जाता है कि ‘अक्षय तृतीया’ के दिन शुरू हुई चीजें बढ़ती और समृद्ध होती रहती हैं।
‘अक्षय तृतीया’ का दिन नई शुरुआत जैसे शादी, संपत्ति खरीदना, निवेश करना आदि के लिए शुभ माना जाता है।
अक्षय तृतीया को भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम के जन्म का दिन भी माना जाता है। यह वह दिन भी माना जाता है जब वेद व्यास और भगवान गणेश ने महाभारत लिखना शुरू किया था।
इसी दिन से पुरी में प्रसिद्ध जगन्नाथ रथयात्रा के लिए रथों का निर्माण भी शुरू होता है। विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा के दिन निकाले जाने वाली रथयात्रा के लिए बढ़ई भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के लिए रथ बनाना शुरू करते हैं।
अक्षय तृतीया पुरी में पवित्र श्रीमंदिर की ‘चंदन यात्रा’ की शुरुआत का भी प्रतीक है। भगवान जगन्नाथ की प्रतिनिधि मूर्ति मदन मोहन, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा, भूदेवी, श्रीदेवी की प्रतिनिधि मूर्तियों और पंच पांडवों के रूप में जाने जाने वाले पांच शिवलिंगों को गर्भगृह से बाहर ले जाया जाता है और भव्य रूप से सजाए गए पालकी में रखकर चंदन तालाब तक ले जाया जाता है। पुरी श्रीमंदिर मंदिर प्रशासन ने 21 दिनों तक चलने वाले उत्सव के लिए विस्तृत व्यवस्था की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत पंडा सहित अन्य लोगों ने इस शुभ अवसर पर राज्य के लोगों को शुभकामनाएं दीं।
मोदी ने ट्विट किया है कि अक्षय तृतीया ओडिशा में और महान ओड़िया संस्कृति के लिए एक बहुत ही शुभ दिन है। यह वह दिन है जब महाप्रभु श्री जगन्नाथ की रथयात्रा के लिए रथों का निर्माण शुरू होता है। यह अखी मुथी अनुकुला के साथ भी निकटता से जुड़ा हुआ है, जब किसान बुआई शुरू करते हैं बीज। महाप्रभु श्री जगन्नाथ का आशीर्वाद हमेशा हम पर बना रहे।