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मैं नवीन पटनायक के महान मूल्यों का स्वाभाविक उत्तराधिकारी हूं : पांडियन

  • भाजपा पर बोला तीखा हमला, कहा-ओड़िया अस्मिता के लिए कुछ भी नहीं किया

  • मुख्यमंत्री को पांडियन ने गुरु बताया

  • बोले-ओडिशा के लोग नहीं मानते हैं मुझे बाहरी

भुवनेश्वर। अपने विरोधियों द्वारा ‘बाहरी’ कहे जाने से अप्रभावित, बीजू जनता दल नेता वीके पांडियन ने कहा है कि वह ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के सभी महान मूल्यों के “स्वाभाविक उत्तराधिकारी” हैं और अपने “गुरु” की मदद के लिए वह हरसंभव काम करेंगे।

पटनायक के सबसे करीबी सहयोगी माने जाने वाले पांडियन ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर तीखा हमला करते हुए कहा कि उसने मुख्यमंत्री द्वारा बार-बार अनुरोध किए जाने के बावजूद ‘ओड़िया अस्मिता’ या राज्य की भाषा, कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कुछ नहीं किया है। यहां पटनायक के आवास पर ‘पीटीआई’ के साथ एक वीडियो साक्षात्कार में पांडियन (49) ने कहा कि मैं नवीन बाबू को अपना गुरु कहता हूं और मैं उनका शिष्य हूं।

पांडियन ने कहा कि मैं सिर्फ एक पैदल सैनिक हूं और बीजू जनता दल (बीजद) के कोई पदाधिकारी भी नहीं हूं, लेकिन मैं पटनायक के बहुत बड़े प्रशंसक हूं।

उल्लेखनीय है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारी ने पिछले साल पार्टी में शामिल होने के लिए नौकरी छोड़ दी थी। उससे पहले वह मुख्यमंत्री के निजी सचिव के रूप में काम कर रहे थे।

यह पूछे जाने पर कि उन्हें पटनायक (77) के स्वाभाविक उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जा रहा है, पांडियन ने कहा कि मैं नवीन पटनायक के सभी महान मूल्यों का स्वाभाविक उत्तराधिकारी हूं, चाहे यह उनकी बेदाग ईमानदारी हो, ओडिशा के लोगों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता हो, उनकी कड़ी मेहनत, समय की पाबंदी, ईमानदारी, हर चीज।

ओडिशा में ‘बाहरी’ होने के भाजपा के आरोप पर पांडियन ने कहा कि भाजपा अपने राजनीतिक कारणों से मुझे बाहरी कहती है, ओडिशा के लोग ऐसा नहीं कहते हैं। पांडियन का जन्म तमिलनाडु में हुआ और उन्होंने दिल्ली में पढ़ाई की और पंजाब कैडर के आईएएस अधिकारी के रूप में अपना करियर शुरू की। बाद में एक ओड़िया महिला से शादी करने के बाद वह ओडिशा कैडर में स्थानांतरित हो गए। उन्होंने कहा कि मैंने 25 साल तक ओडिशा में काम किया है। ओडिशा के लोग मुझे अपनों में से एक के रूप में देखते हैं। अन्यथा वे इस चिलचिलाती धूप में इतनी बड़ी संख्या में बाहर क्यों आते, मेरे करीब आने की कोशिश क्यों करते। उन्होंने अपनी रैलियों और सार्वजनिक बैठकों में जुटने वाली भारी भीड़ के संदर्भ में यह टिप्पणी की।

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