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सत्तारूढ़ बीजद ने सबसे अधिक आठ सदस्यों को, भाजपा ने तीन और कांग्रेस ने एक सदस्य को मैदान में उतारा
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ओडिशा विधानसभा चुनाव में दस सदस्य और लोकसभा चुनाव में दो उम्मीदवार उतरे हैं मैदान में
भुवनेश्वर। ओडिशा में लोकसभा और विधानसभा के लिए एक साथ हो रहे चुनाव में इस बार अलग-अलग शाही परिवार के 12 सदस्य अपनी किस्मत आजमा रहे हैं और आम लोगों को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही हैं। ओडिशा में 13 मई से एक जून तक लोकसभा की 21 सीट और विधानसभा के लिए 147 सीट के लिए मतदान होगा।
सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजद) ने शाही परिवारों के सबसे अधिक आठ सदस्यों को मैदान में उतारा है, उसके बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तीन और कांग्रेस ने एक सदस्य को मैदान में उतारा है।
शाही परिवारों के दस सदस्य ओडिशा विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं, जबकि लोकसभा चुनाव में दो उम्मीदवार हैं। बीजद ने धाराकोटे के दिग्गज नेता दिवंगत एएन सिंहदेव की पोती 28 वर्षीय सुलक्षणा गीतांजलि देवी को सानखेमुंडी विधानसभा क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया है।
कानून की डिग्री रखने वाली गीतांजलि देवी विधानसभा चुनाव लड़ने वाली धाराकोटे शाही परिवार की पांचवीं सदस्य हैं। उनके दादा एएन सिंहदेव सुरडा निर्वाचन क्षेत्र से चार बार 1967, 1971, 1977 और 1995 में विधायक निर्वाचित हुए थे और 1989 में अस्का लोकसभा क्षेत्र के सांसद के रूप में चुने गए थे। उनकी दादी शांति देवी और पिता किशोर चंद्र सिंहदेव भी क्रमशः 1990 और 2004 के चुनावों में इस सीट से चुने गए थे।
उनकी मां नंदिनी देवी 2014 में सानखेमुंडी सीट से जीती थीं। इस बार गीतांजलि 20 मई को होने वाले चुनाव में कांग्रेस के मौजूदा विधायक रमेश चंद्र जेना के खिलाफ मैदान में हैं।
धाराकोटे पंचायत समिति की मौजूदा अध्यक्ष गीतांजलि ने कहा कि मुझे अपने दादा, मां और पिता से लोगों की सेवा करने के लिए राजनीति में शामिल होने की प्रेरणा मिली। मैं निर्वाचन क्षेत्र के लोगों की सेवा करने का अवसर देने के लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद देती हूं।
बीजद ने चिकिटि विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए शाही परिवार की सदस्य उषा देवी के बेटे चिन्मयानंद श्रीरूप देब को मैदान में उतारा है। शहरी विकास मंत्री उषा देवी के बेटे श्रीरूप देव अपनी मां की सीट चिकिटि से चुनावी राजनीति की शुरुआत करने वाले स्थानीय शाही परिवार के तीसरे सदस्य हैं। उनके दादा सच्चिदानंद देव 1971 में इस सीट से चुने गए थे, जबकि उनकी मां उषा देवी 2000 से लगातार पांच बार विधानसभा सदस्य चुनी गईं। भाजपा ने मौजूदा सांसद संगीता कुमारी सिंह देव को बलांगीर लोकसभा सीट से फिर से उम्मीदवार बनाया है। वह बलांगीर शाही परिवार की सदस्य हैं। उनके पति वरिष्ठ भाजपा नेता केवी सिंह देव को भी पार्टी ने पाटनागढ़ विधानसभा क्षेत्र से मैदान में उतारा है। संगीता बलांगीर से लगातार चार बार सांसद निर्वाचित हो चुकी हैं और पांचवीं बार इस सीट से संसद पहुंचने की कोशिश कर रही हैं।
बीजद ने बलांगीर से दो बार के सांसद कलिकेश नारायण सिंह देव को इस बार विधानसभा सीट के लिए मैदान में उतारा है। भाजपा ने कलाहांडी लोकसभा सीट से पूर्व सांसद अरक केशरी देव की पत्नी मालविका केशरी देव को अपना उम्मीदवार बनाया है। शाही दंपति 2019 में टिकट नहीं मिलने के बाद 2023 में बीजद छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया था। अरक कलाहांडी शाही परिवार के सदस्य और भाजपा नेता विक्रम केशरी देव के बेटे हैं, जिन्होंने तीन बार इस सीट पर जीत दर्ज की थी।
बीजद ने बामंदा ‘रानी’ अरुंधति देवी को देवगढ़ विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। वह देवगढ़ के पूर्व राजा और भाजपा के संबलपुर सांसद नितेश गंगदेव की पत्नी हैं। राजपरिवार के एक अन्य सदस्य पुष्पेंद्र सिंहदेव को बीजद ने धर्मगढ़ विधानसभा सीट से मैदान में उतारा है। बीजद ने अनुगूल विधानसभा क्षेत्र से संजुक्ता सिंह को मैदान में उतारा है। वह अपने पति और मौजूदा विधायक रजनीकांत सिंह के स्थान पर चुनाव लड़ रही हैं जो अनुगूल शाही परिवार के सदस्य हैं। बीजद ने नयागढ़ विधानसभा क्षेत्र से प्रत्युषा राजेश्वरी को मैदान में उतारा है, जबकि आलि शाही परिवार के सदस्य प्रताप देव को आलि सीट से प्रत्याशी बनाया है।
कांग्रेस ने ढेंकानाल विधानसभा सीट से ढेंकानाल शाही परिवार की सदस्य सुष्मिता सिंहदेव को मैदान में उतारा है। राजनीतिक विश्लेषक प्रह्लाद सिन्हा ने कहा कि शाही परिवार का अब भी ग्रामीणों के बीच सम्मान है। लोगों को अब भी विश्वास है कि शाही परिवार के सदस्य उनकी समस्याओं का समाधान करेंगे और उनके मुद्दों को उचित स्थान पर उठाएंगे।