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मर कर भी दो को जिंदगी दे गया सीआरपीएफ का जवान

  • ब्रेन डेड घोषित होने के बाद एक रोगी मिला हृदय, तो दूसरे को लीवर

भुवनेश्वर। देश सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाला सीआरपीएफ का एक जवान दूसरों के लिए मिसाल बनकर परवान चढ़ा।

खुदाधा जिले के सरुआ निवासी 48 वर्षीय सीआरपीएफ जवान कृष्णचंद्र मोहभोई को 20 मार्च को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था। उनका भुवनेश्वर के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था।

दो साल पहले किडनी की बीमारी से पीड़ित महाभोई का नियमित डायलिसिस चल रहा था। हालांकि, 20 मार्च को उनकी हालत गंभीर हो गई और उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया।

इसके बाद अंगदान के लिए तुरंत उनके परिवार की अनुमति ली गई और हृदय और लीवर सहित दो महत्वपूर्ण अंग निकाले गए, जिनका उपयोग दो अन्य व्यक्तियों की जान बचाने के लिए किया जाएगा।

जानकारी के मुताबिक, उनके दिल को तुरंत कोलकाता के टाटा मेमोरियल अस्पताल और उनके लीवर को प्रत्यारोपण के लिए मुंबई के रिलायंस अस्पताल भेजा गया। महभोई के परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटा, एक बेटी और माता-पिता हैं। उनकी मृत्यु के बाद उनके 20 वर्षीय बेटे और उनके परिजन सदमे में थे। हालांकि, उन्हें इस बात की खुशी थी कि महभोई के अंग दो जिंदगियां बचाने में काम आएंगे।

उनके बेटे सत्यब्रत महाभोई ने कहा कि मैं इस बात से खुश हूं कि मेरे पिता का हृदय किसी दूसरे व्यक्ति के शरीर में प्रत्यारोपित किया जाएगा। मेरे पिता एक जवान थे। हमें अपने पिता पर गर्व है। वह लोगों की सेवा करते थे और मैं चाहता हूं कि वह अपनी मृत्यु के बाद भी लोगों की सेवा करेंगे।

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