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पुराने चिटफंड मामलों की हो रही है जांच
भुवनेश्वर। सीशोर ग्रुप के सीएमडी प्रशांत दास सोमवार को दूसरी बार प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने पेश हुए। बताया गया है कि सीशोर समूह की कंपनियों ने 2006 से लोगों से धन एकत्र किया। इस तरह के संग्रह भारतीय रिजर्व बैंक और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की अनुमति के बिना किए गए थे। कंपनी ने जुटाए गए पैसे को कई सेक्टरों में निवेश किया था। फिलहाल ईडी पुराने चिटफंड मामलों की जांच में जुट गई है और 578 करोड़ रुपये के घोटाले में राजनीतिक संबंधों की तलाश कर रही है। इसके तहत ईडी ने सोमवार को दास से दूसरी बार पूछताछ की। ईडी ने पिछले शुक्रवार को भी उनसे पूछताछ की थी।
बताया गया है कि ईडी दास से इसलिए पूछताछ कर रही है, क्योंकि कहा जा रहा है कि ईडी को यकीन है कि अभी दास की और संपत्तियां जब्त नहीं की गई हैं।
यह आरोप लगाया गया है कि कई चिटफंड मामलों में शामिल लोग, चाहे वह सीशोर चिट फंड, एटी चिटफंड या रोज वैली चिटफंड हो, अब जमानत पर बाहर हैं और विलासितापूर्ण जीवन जी रहे हैं। इसलिए वे अब ईडी की जांच के दायरे में आ रहे हैं। एजेंसी अब कथित तौर पर सुराग ढूंढने के लिए उनसे पूछताछ कर रही है, ताकि अधिक संपत्तियां कुर्क की जा सकें। उन्हें चरणों में ईडी के सामने पेश होने के लिए बुलाया गया है। समझा जाता है कि ईडी उनके राजनीतिक संबंधों की जांच कर रही है। उल्लेखनीय है कि ईडी ने दिसंबर 2014 में धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत सीशोर ग्रुप की 150 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त कर ली थी। जनवरी 2015 में उसने फिर से कंपनी की 84 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली थी।