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1800 करोड़ का उलीबुरू खनन घोटाला फिर चर्चा में

  • मुख्य आरोपी दीपक गुप्ता और उनके भाई ईडी के सामने पेश हुए

  • दो हफ्ते पहले जांच के तहत कोलकाता और ओडिशा में 12 ठिकानों पर हुई थी छापेमारी

भुवनेश्वर। आगामी चुनावों से पहले केंदुझर में 1800 करोड़ रुपये का उलीबुरू खनन घोटाला फिर से फोकस में है और प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी जांच तेज कर दी है। मुख्य आरोपी दीपक गुप्ता और उनके भाई चंपक गुप्ता सोमवार को भुवनेश्वर में ईडी के सामने पेश हुए।

दो हफ्ते पहले ईडी की टीम ने खनन घोटाले की जांच के तहत कोलकाता और ओडिशा में 12 ठिकानों पर छापेमारी की थी। ईडी ने एक लग्जरी कार, 1.24 करोड़ रुपये के गहने, 30 लाख रुपये नकद और 1.23 करोड़ रुपये जमा वाले बैंक खाते को जब्त कर लिया है।

सूत्रों ने कहा कि ईडी ने खनन कंपनी की 380 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क करने की मांग करते हुए पीएमएलए अदालत का रुख किया है।

उल्लेखनीय है कि जोड़ा सर्कल के अंतर्गत उलीबुरू खदानों के पट्टा क्षेत्र से परे बड़े पैमाने पर खनन किया गया, जिससे कथित तौर पर राज्य के खजाने को 1800 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। यहां तक कि खनिजों का भी अनुमेय सीमा से अधिक खनन किया गया।

पूर्व इस्पात एवं खान मंत्री रजनीकांत सिंह ने कहा था कि उलीबुरू की लौह खदानें बीके मोहंती को लीज पर दी गयी थीं। जांच में पता चला कि 2000 से 2010 के बीच बीके मोहंती खदानों से 856.93 करोड़ रुपये मूल्य का 46,19,633 मीट्रिक टन लौह अयस्क निकाला गया था।

हालांकि, सरकार को भुगतान किए गए लौह अयस्क शिपिंग चालान, रॉयल्टी और माल ढुलाई शुल्क को ध्यान में रखते हुए घोटाला 1800 करोड़ रुपये का आंका गया था।

मुख्य आरोपी दीपक गुप्ता उलीबुरू खदान के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी रखते थे, जो मूल रूप से बीके मोहंती को पट्टे पर दी गई थी।

गुप्ता ने पट्टा क्षेत्र के बाहर 6 हेक्टेयर आरक्षित वन और 29 हेक्टेयर राजस्व वन में अवैध रूप से लौह अयस्क निकाला था, जो राजस्व विभाग के अधीन है।

खनिजों की बेतहाशा लूट पर हंगामा मचने के बाद सीबीआई जांच की बढ़ती मांग के बीच ओडिशा सरकार ने जून 2013 में उलीबुरू खनन घोटाले की सतर्कता जांच का आदेश दिया था। दीपक को उसकी कथित संलिप्तता के लिए 4 सितंबर 2013 को राज्य सतर्कता अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था। दीपक के परिजनों समेत 29 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया।

8 अगस्त, 2023 को केंदुझर सतर्कता अदालत ने दीपक और चंपक गुप्ता सहित उनके परिवार के चार सदस्यों को भगोड़ा घोषित कर दिया।

बाद में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने घोटाले में धन के लेन-देन की जांच शुरू की और मई 2015 में दीपक के स्वामित्व वाली लगभग 379 करोड़ रुपये की संपत्ति भी जब्त कर ली।

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