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बटेश्वर समुद्र तट पर रुशिकुल्या नदी का मुहाना इसके लिए तैयार
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रुशिकुल्या के मुहाने से उत्तर में प्रयागी तक और दक्षिणी दिशा में आर्यपल्ली तक मछली पकड़ने पर रोक
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20 किमी क्षेत्र को नो-फिशिंग जोन घोषित किया गया
ब्रह्मपुर। हर साल की तरह इस साल भी ओलिव रिडले कछुओं के घोंसले बनाने के मौसम को देखते हुए तैयारियां तेज की गईं हैं। गंजाम जिले के बटेश्वर समुद्र तट पर रुशिकुल्या नदी का मुहाना इसके लिए तैयार हो गया है। कुछ ही दिनों में हजारों कछुओं का बड़े पैमाने पर अंडे देना शुरू हो जाएगा। इसके लिए वन विभाग की तैयारियां अंतिम चरण में पहुंच गई हैं और सुरक्षा व्यवस्था भी कड़ी कर दी गई है। रिपोर्टों के अनुसार, वन विभाग ने तीन ट्रॉलर और दो स्पीड नौकाओं की मदद से गहरे समुद्र में गश्त कड़ी कर दी है। रुशिकुल्या के मुहाने से उत्तर में प्रयागी तक और दक्षिणी दिशा में आर्यपल्ली तक मछली पकड़ने पर रोक लगा दी गई है। इसे नो फिशिंग जोन घोषित किया गया है।
व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी देते हुए खलीकोट रेंजर दिव्यशंकर बेहरा ने कहा कि न्यू पोदमपेटा से प्रयागी तक 5 किमी क्षेत्र को हेक्सानेट के साथ बैरिकेडिंग किया गया है। 20 किमी क्षेत्र को नो-फिशिंग जोन घोषित किया गया है, जहां वन विभाग की स्पीड बोट द्वारा गश्त की जा रही है। हमें उम्मीद है कि इस साल संख्या बढ़ेगी।
दुर्लभ ओलिव रिडले कछुओं के सुरक्षित सामूहिक घोंसले के लिए एक स्वच्छ समुद्र तट एक प्रमुख आवश्यकता है। अपनी मदद बढ़ाते हुए ओडिशा पत्रकार संघ ने इस उद्देश्य के लिए बटेश्वर समुद्र तट की सफाई की।
पर्यावरणविद् डॉ द्वारिकानाथ महाराणा ने मीडिया को दिए गए बयान में कहा है कि हजारों ऑलिव रिडले हर साल यहां अंडे देते हैं। वन विभाग ने क्षेत्र में नो-फिशिंग जोन लागू करने के साथ सभी व्यवस्थाएं की हैं। ये लुप्तप्राय प्रजातियां हर साल फरवरी के तीसरे सप्ताह से मार्च के पहले सप्ताह तक घोंसले बनाने के लिए यहां आती हैं। ओडिशा दुनिया में ओलिवर रिडलिस के लिए सबसे बड़ा सामूहिक घोंसला स्थल है, जबकि पिछले साल 3.8 लाख से अधिक कछुए नदी के मुहाने पर आए थे, इस साल यह संख्या बढ़ने की उम्मीद है।