Home / Odisha / युग परिवर्तन से पहले होता है आध्यात्मिक जागरण – मोहन भागवत

युग परिवर्तन से पहले होता है आध्यात्मिक जागरण – मोहन भागवत

  • साहित्यकारों से किया देशहित में काम करने का आह्वान

  • कहा-अभिव्यक्ति का मतलब जोड़ना होना चाहिए, तोड़ने और विघटनकारी नहीं

  • आरएसएस प्रमुख ने साहित्यकारों को पढ़ाया साहित्य और धर्म का पाठ

भुवनेश्वर। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आज देशभर से पधारे साहित्यकारों से देशहित में काम करने का आह्वान करते हुए कहा कि युग परिवर्तन से पहले आध्यात्मिक परिवर्तन होता है। ऐसी स्थिति में साहित्यकारों की भूमिका अहम होती है। इसलिए साहित्यकारों को अपना काम बेखौफ होकर करते रहना चाहिए। राजधानी भुवनेश्वर स्थित सोआ के ऑडिटोरियम में अखिल भारतीय साहित्यिक परिषद के सर्व भाषा साहित्यिक सम्मान समारोह में भारत में विविधता में एकता को पेश और परिभाषित करते हुए आरएसएस प्रमुख ने कहा कि समाज को जोड़कर उन्नत करने वाला ही धर्म होता है। धर्म किसी समाज को तोड़ता नहीं है, धर्म समाज और लोगों को जोड़ता है और साहित्य धर्म सिखाने वाला होता है। इसकी महत्ता मनुष्य को मनुष्य बनाना है।

मातृभाषाओं का सम्मान करें

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने सभी लोगों से मातृभाषाओं का सम्मान करने का आह्वान किया तथा कहा कि साहित्यकार अपनी मातृभाषाओं में साहित्यिक रचनाओं को प्रमुखता दें।

जो हित साध्य करता है, वह साहित्य होता है

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने साहित्य को परिभाषित करते हुए कहा कि जिसमें हित शामिल हो और जो हित साध्य करता है, वह साहित्य होता है। आजकल देश में कई प्रकार के साहित्य उपलब्ध हैं, जो तोड़ने का काम भी कर रहे हैं। उन्होंने विदेशी मार्क्सवादी शासनों का उदाहरण देते हुए कहा कि जो साहित्य उनके हित में होते थे, उसे सम्मान मिलता था, लेकिन जो उनके खिलाफ होते थे, उनको दंडित किया जाता था, लेकिन भारत में ऐसी व्यवस्था नहीं है। भागवत ने कहा कि ऐसी स्थिति में साहित्यकारों बेखौफ होकर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने की जरूरत है, लेकिन ध्यान रखना चाहिए कि साहित्य हितकर हों।

समाज को तोड़ने वालों को दंडित किया जाए

भागवत ने कहा कि अभिव्यक्ति का अर्थ जोड़ना होना चाहिए, ना कि समाज को तोड़ना। समाज को तोड़ने वालों को दंडित किया जाना चाहिए। इस दौरान उन्होंने अखिल भारतीय साहित्यिक परिषद के कार्यों की सरहाना की तथा उम्मीद जताई कि यह देश के हित में काम करता रहेगा।

साहित्याकरों की मदद का आह्वान

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आज यहां उपस्थित सभी लोगों से साहित्यकारों की मदद करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आप अपने स्तर पर साहित्यकारों की मदद करते रहें। उन्होंने इस कार्यक्रम के आयोजन को पेश करते हुए बताया कि जिस प्रकार से इसकी सफलता में सबने मदद की है, ठीक उसी प्रकार से अपने-अपने तरीके से साहित्यकारों की मदद करें। कोई किताबें खरीदकर ग्रंथालयों को दे सकता है, तो साहित्यकारों को समाज से जोड़ सकता है। किसी न किसी रूप से लोगों को साहित्यकारों की मदद करते रहना चाहिए।

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