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20 हजार मूल्य तक के नोट बदलवाने पर मिल रहे हैं 300 रुपये
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आरबीआई के क्षेत्रीय कार्यालय के समक्ष लोगों की लंबी लाइन देखने को मिली
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काले धन को लेकर हो सकती है जांच
इण्डो एशियन टाइम्स, भुवनेश्वर। 2000 का नोट बदलने और जमा करने की समय सीमा 7 अक्टूबर को समाप्त होने के कारण अब आरबीआई के क्षेत्रीय कार्यालय, भुवनेश्वर में लोगों की भीड़ उमड़ने लगी है। आज मंगलवार को आरबीआई के क्षेत्रीय कार्यालय के समक्ष लोगों की लंबी लाइन देखने को मिली है। बताया जाता है कि अभी भी 2000 रुपये के नोट भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) कार्यालयों में जमा या बदलवा जा सकता है, इसलिए लोगों की भीड़ देखने को मिल रही है।
2000 का नोट बदलने के लिए मिल रहे 300 रुपये
मीडिया खबरों के अनुसार कुछ लोगों को लाइन में खड़ा होकर 20 हजार रुपये मूल्य तक के 2000 के नोट बदलवाने के लिए कुछ लोग 300 रुपये दे रहे हैं। हालांकि ये लोग कौन हैं, इसकी पहचान किसी को नहीं है। एक जमाकर्ता ने कहा कि हम उस व्यक्ति को नहीं जानते लेकिन कतार में खड़े होकर 20,000 रुपये मूल्य के 2000 रुपये के दस नोट बदलने पर हमें केवल 300 रुपये मिल रहे हैं।
कोई अंतिम सीमा तय नहीं
इस बीच आरबीआई भुवनेश्वर के क्षेत्रीय निदेशक ने कहा कि दरअसल अधिसूचना जारी कर दी गई है और कोई अंतिम सीमा तय नहीं की गई है। हालांकि, हमने लगभग 250 व्यक्तियों के लिए प्रावधान किया है। उन्हें पानी और अन्य सुविधाएं प्रदान की हैं, जो अपने 2000 रुपये के नोटों को बदलवाने या अपने बैंक खातों में जमा करने के लिए आ रहे हैं।
हर दिन 2 करोड़ के 2000 के नोट मिल रहे
आरबीआई के क्षेत्रीय निदेशक ने आगे बताया कि उन्हें हर दिन 2 करोड़ रुपये के 2000 रुपये के नोट मिल रहे हैं। इसमें से करीब 95 फीसदी का आदान-प्रदान हो रहा है, जबकि सिर्फ 5 फीसदी ही खाते में जमा हो रहा है।
300 रुपये लेन-देन की जानकारी नहीं
आरबीआई क्षेत्रीय निदेशक ने कहा कि हमें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि लोगों को 2000 रुपये के नोट बदलने के लिए 300 रुपये या 400 रुपये का भुगतान किया जा रहा है या नहीं। हम 2000 रुपये के दस नोटों को बदलने के लिए पहचान पत्र और अन्य दस्तावेजों सहित आधिकारिक दस्तावेज रख रहे हैं। हम सीसीटीवी फुटेज के साथ सभी दस्तावेजी रिकॉर्ड बनाए रखते हैं।
कानून प्रवर्तन एजेंसियां कर सकती हैं जांच
यह पूछे जाने पर कि क्या यह काले धन को सफेद करने का प्रयास है, आरबीआई के क्षेत्रीय निदेशक ने कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियां ऐसे मुद्दों की जांच कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि हम मानदंडों के अनुसार अपेक्षित संरक्षण अवधि तक सभी आवश्यक रिकॉर्ड रखते हैं।
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