संबलपुर- देश के स्वाधीनता संग्राम में अपने प्राणों की आहूति देनेवाले वीर शहीद तथा संबलपुर माटी के वीर संतान जगबंधू पटनायक उर्फ जग्गू दीवान को (उनकी फांसी दिवस पर) भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। संबलपुर माटी में पैदा हुए जग्गू जगबंधू पटनायक उर्फ जग्गू दीवान पूरवर्ती समय में पोड़ाहाट-चक्रधरपुर (वर्तमान झारखंड राज्य) के दीवान नियुक्त किए गए थे। पोड़ाहाट नरेश अच्युत सिंह एवं उनके निधन के बाद उनके बेटे अर्जुन सिंह के शासन काल तक जग्गू पोड़ाहाट प्रदेश के दीवान रहे और राज्य की सेवा करते रहे। इस दौरान ही उन्होंने वर्ष 1831 में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह आरंभ किया और मुंडा एवं कोल आंदोलन को अपना समर्थन प्रदान किया। जग्गू के बढ़ते तेवर को देखकर तत्कालीन ब्रिटिश सरकार के माथे पर भी बल पड़ गया था। अंतत: ब्रिटिश सरकार ने उनको तलाशना आरंभ किया और कुछ समय बाद ही जग्गू को गिरफ्तार कर लिया गया। अंतत: 19 नवंबर 1857 को जग्गू को सूली पर चढ़ा दिया गया। चक्रधरपुर के केरा गांव स्थित राजबाटी में आज भी जग्गू की प्रतिमा स्थापित है। नियमित तौरपर उनकी वीरता को याद किया जाता रहा है। चूंकी जग्गू का जन्म संबलपुर में हुआ था। उनके परिवार के कुछ सदस्य आज भी संबलपुर में हैं। संबलपुर में भी उनका काफी प्रभाव है। संबलपुर माटी के इस महान सपूत को श्रद्धांजलि देने संबलपुर शहर के एक प्रतिनिधि ने झारखंड के चक्रधरपुर का दौरान किया और इस वीर स्वाधीनता सेनानी को पूरे संबलपुर की ओर से श्रद्धासुमन अर्पित किया। इतिहासकार दीपक पंडा के नेतृत्व में संबलपुर से चक्रधरपुर पहुंची इस टीम में डा परेशचंद्र दानी, कैलाश मिस्त्री, अखिल पटनायक एवं विवेकानंद मोहंती शामिल थे। इस खास अवसर पर झारखंड अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष अशोक षडंगी, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष नागेश्वर प्रधान, केदार नाथ प्रधान, पूर्णेन्दू कुमार नंद एवं सरोज कुमार प्रधान समेत चक्रधरपुर के अनेकों लोग उपस्थित थे।