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भक्त एवं भगवान के बीच कोरोना वायरस का पहरा
शेषनाथ राय, भुवनेश्वर
कोरोना संक्रमण ने पहले ही भक्तों को महाप्रभु से एवं महाप्रभु को भक्तों के बीच दीवार खड़ी कर दी है. वहीं अब महाप्रभु की चंदनयात्रा पर भी इस वायरस ने पहरा लगा दिया है और इस साल बिना भक्तों के ही महाप्रभु की चंदन यात्रा आयोजित की जाएगी. सामाजिक दूरी को ध्यान में रखते हुए चंदन यात्रा के सभी नियमों का पूरे किए जाने की जानकारी महाप्रभु के वरिष्ठ सेवक विनायक दासमहापात्र ने दी है. उन्होंने कहा है कि आगामी 26 तारीख को चंदन यात्रा होगी. इसके लिए सभी प्रकार की तैयारी पूरी कर ली गई है. महाप्रभु की इस 21 दिवसीय चन्दन यात्रा के दौरान हर दिन अपराह्न में महाप्रभु की चलंति प्रतिमा मदन मोहन रामकृष्ण, श्रीदेवी और भू-देवी, श्रीक्षेत्र के पंच महादेव के साथ नरेन्द्र सरोवर यात्रा कर जल क्रीड़ा करेंगे. इस चंदन यात्रा के लिए सभी प्रकार की तैयारी अंतिम चरण में पहुंच गयी है. चंदन यात्रा के बाद रथयात्रा की तैयारी शुरू होगी. यदि कोरोना वायरस अति भयंकर रूप धारण नहीं करता है तो फिर बिना भक्तों के महाप्रभु की रथयात्रा भी निकाली जाएगी. उन्होंने कहा है कि भक्त घर में बैठकर टीवी के जरिए महाप्रभु की रथयात्रा को देख पाएंगे. रथयात्रा कभी भी बंद नहीं होगी.
गौरतलब है कि महाप्रभु की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा इस साल 23 जून है और इस दिन महाप्रभु खुद पतितपावनों को दर्शन देने के लिए श्रीमंदिर से निकलकर बाहर आते हैं. बड़दांड में भक्त और भगवान एकाकार हो जाते हैं, मगर कोरोना संक्रमण को देखते हुए महाप्रभु की रथयात्रा में इस साल वह दृश्य शायद ही देखने को मिले. इस बार रथयात्रा में शामिल होने के लिए पर्यटक, भक्तों को अनुमित मिलेगी या नहीं उसे लेकर द्वंद की स्थिति बनी हुई है. यहां उल्लेखनीय है कि महाप्रभु की 9 दिवसीय रथयात्रा में हर दिन आड़प मंडप में दर्शन के लिए 3 लाख से अधिक श्रद्धालुओं का जमावड़ा होता है. रथायात्रा एवं बाहुड़ा यात्रा में तो 15 लाख भक्तों का समागम होता है. श्रीगुंडिचा यात्रा से नीलाद्री बिजे के बीच 50 लाख से अधिक भक्तों का समागम श्रीक्षेत्र धाम में होता है, मगर इस साल कोरोना संक्रमण महाप्रभु एवं भक्तों के बीच अदृश्य दीवार बनकर खड़ा हो गया है.