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संबलपुर में विकास नहीं किए जाने संबंधित बीजद नेता के बयान को लेकर किया पलटवार
भुवनेश्वर। साल 2024 में होने वाले लोकसभा और विधानसभा के चुनावों को लेकर राज्य में राजनीति सरगर्मियां बढ़ने लगी हैं। टिकटों को लेकर लगाई जारी अटकलबाजियों के बीच
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कद्दावर नेता और नेता प्रतिविपक्ष जयनारायण मिश्र ने रविवार को एक और बम फोड़ते हुए दावा किया कि रायराखोल के बीजद विधायक रोहित पुजारी ने भाजपा के टिकट पर रायराखोल से चुनाव लड़ने की इच्छा व्यक्त की है।
मिश्र ने संबलपुर में जनसंपर्क पदयात्रा के दौरान रायराखोल विधायक द्वारा उनके खिलाफ कही गई बात का जवाब देते हुए ये बातें कहीं। मिश्र ने कहा कि रोहित पुजारी को कैबिनेट से हटाए जाने के दो दिन बाद उन्होंने मुझे फोन किया था और कहा था कि बीजद में मेरे साथ जिस तरह का व्यवहार किया गया है, ऐसा लगता है कि मैं अब पार्टी में नहीं रह सकता। क्या मुझे रायराखोल के लिए टिकट मिल सकता है?
इससे पहले दिन में संबलपुर में जनसंपर्क पदयात्रा में एक बैठक को संबोधित करते हुए रोहित पुजारी ने कहा कि जयनारायण मिश्र ने चार बार विधायक रहने के बावजूद संबलपुर जिले के लिए कुछ नहीं किया है और वह संबलपुर जिले के विकास में बाधा हैं।
आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए एलओपी मिश्र ने कहा कि वह पार्टी के अंदर असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। जब मैं मुख्यमंत्री पर हमला कर रहा हूं तो वह नेताओं को खुश करने के लिए ऐसा कह रहे हैं। उन्हें हमारे भविष्य के बारे में सोचने के बजाय अपने भविष्य के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि संबलपुर जिले के विकास में बाधा कोई और नहीं, बल्कि स्वयं मुख्यमंत्री हैं। जब मैं यहां से चार बार निर्वाचित हुआ, तो मुख्यमंत्री कौन थे? वह नवीन पटनायक ही मुख्यमंत्री थे। एक मुख्यमंत्री राज्य के विकास के लिए जिम्मेदार होता है। मिश्र ने कहा कि मेरे कार्यकाल के दौरान एक पेयजल परियोजना की गई, जिले में सड़कों की स्थिति विकसित की गई, कॉलेजों का विकास किया गया और राष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थान स्थापित किए गए। जनवरी या फरवरी में नितिन गडकरी के बाहरी रिंग रोड के विकास के लिए संबलपुर का दौरा करने की उम्मीद है। पहले सड़कें कच्ची थीं। अब उन्हें मूर्त रूप दे दिया गया है। मिश्र ने कहा कि क्या रोहित पुजारी बता सकते हैं कि उन्होंने रायराखोल में क्या किया है? वह कोयला परिवहन से पैसा कमाने पर नजर गड़ाए हुए हैं। कर्मचारियों के तबादले में पैसा वसूलने के आरोप में उन्हें खुद कैबिनेट से निलंबित कर दिया गया था।