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सामूहिक रूप से छुट्टी पर जाने का फैसला किया
भुवनेश्वर। अपने चल रहे आंदोलन को तेज करते हुए राज्यभर के प्राथमिक शिक्षकों ने आज बुधवार से सामूहिक रूप से छुट्टी पर जाने का फैसला किया है। इस कदम से राज्यभर में प्रारंभिक शिक्षा पर बुरा असर पड़ने की आशंका है। प्राथमिक विद्यालय शिक्षक संघ के बैनर तले प्राथमिक शिक्षक नौकरी नियमितीकरण और वेतन वृद्धि सहित अपनी मांगों को पूरा करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार, हाई स्कूल शिक्षकों के मामले में संविदा नियुक्ति को समाप्त करना उनकी पहली मांग है। इसके अलावा प्रारंभिक कैडर में एक्स-कैडर शिक्षकों को शामिल करना, ग्रेड वेतन में बढ़ोतरी, कला और पीईटी शिक्षकों के लिए सेवा कैडर का गठन, रिक्तियों को भरना और पुरानी पेंशन प्रणाली प्रमुख मांगों में से थी। एक दिन पहले ही राज्य सरकार ने शिक्षकों से हड़ताल वापस लेने की अपील की थी। सरकार ने प्रदर्शनकारी शिक्षकों की मांगों की समीक्षा के लिए पांच सदस्यीय उपसमिति का गठन किया है। उपसमिति मांगों की समीक्षा कर अपनी रिपोर्ट अंतर-मंत्रालयी समिति को देगी। फिर सरकार शिक्षकों की मांगों पर अंतिम फैसला लेगी। प्राथमिक शिक्षकों के चल रहे आंदोलन के कारण ओडिशा में छात्रों को शिक्षा प्रदान करने की समग्र प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। अब पांच दिनों से प्राथमिक शिक्षक अपनी मांगों को पूरा करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसमें नौकरी नियमितीकरण और वेतन वृद्धि शामिल है।
आंदोलन उचित – विपक्ष
विपक्षी दलों ने भी प्राथमिक शिक्षकों के चल रहे आंदोलन को उचित बताते हुए ओडिशा सरकार पर हमला बोल दिया है। प्राथमिक शिक्षकों के इस कदम से राज्य के करीब 50 हजार स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित हुई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आरोप लगाया कि 5-टी सचिव द्वारा हेलीकॉप्टर के उपयोग पर लगभग 500 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं, जबकि राज्य सरकार के पास शिक्षकों को भुगतान करने के लिए कोई पैसा नहीं बचा है।
5-टी नहीं 5-डी कहकर मजाक उड़ाया
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आज ओडिशा सरकार का मजाक उड़ाया। उसने कहा कि अब 5-टी नहीं, बल्कि 5-डी है, क्योंकि सरकार 5 दिनों के बाद भी शिक्षकों की शिकायतों को दूर करने में विफल रही है। भाजपा के प्रवक्ता अनिल बिस्वाल ने कहा कि शिक्षकों की मांगें जायज हैं। आंदोलन के अब पांच दिन हो गए हैं, लेकिन ओडिशा सरकार शिक्षकों की शिकायतों को दूर करने में विफल रही है। उनका दावा है कि ओडिशा में 5-टी मॉडल शासन प्रचलित है, लेकिन हम देख रहे हैं कि यह 5-डी है, क्योंकि शिक्षकों की शिकायतों को हल करने में पहले ही 5 दिनों की देरी हो चुकी है।
50,000 स्कूलों में ताला लगा
बिस्वाल ने आगे कहा कि शिक्षकों के आंदोलन के कारण शिक्षा प्रणाली लगभग चरमरा गई है और राज्यभर के 50,000 स्कूलों में ताला लगा हुआ है। एक लाख से अधिक शिक्षक, जो विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, अब सामूहिक अवकाश पर चले गए हैं, लेकिन राज्य सरकार उनकी शिकायतों का समाधान करने में विफल रही है।
शिक्षा की स्थिति सचमुच चरमराई – कांग्रेस
वरिष्ठ कांग्रेस नेता नरसिंह मिश्र ने कहा कि ओडिशा में शिक्षा की स्थिति सचमुच चरमरा गई है। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार शिक्षा का मतलब गुणवत्तापूर्ण शिक्षा है। इसका मतलब है अच्छे शिक्षक जिनकी भर्ती अच्छे वेतनमान और स्थायी शिक्षकों के साथ की जाती है। ओडिशा में शिक्षकों की कितनी श्रेणियां हैं, यह कोई नहीं कह सकता। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक जो भी घोषणा कर रहे हैं, उसे बाद में बदला जा रहा है।
बीजद ने किया बचाव
विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए बीजद विधायक अरबिंद धाली ने कहा कि शिक्षक अब अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं। ओडिशा सरकार मांगों की वास्तविकता सहित विभिन्न पहलुओं की समीक्षा करेगी और तदनुसार उचित कदम उठाएगी।