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जी-20 में छाए ओडिशा की कला-संस्कृति और सभ्यता

  •  सूर्य मंदिर का कोणार्क चक्र बना स्वागत का केंद्र

  • इसी के समक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी नेताओं का किया स्वागत

  • संबलपुरी डांस बना आकर्षण का केंद्र

  • केसर-पिस्ता और रसमलाई का स्वाद मेहमानों को भाया

भुवनेश्वर। नई दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में ओडिशा की कला-संस्कृति और धार्मिक सभ्यता छा गई। इसके साथ ही संबलपुरी डांस आकर्षण का केंद्र रहा और ओडिशा केसर-पिस्ता और रसमलाई मिठाई भी मेहमानों को भायी। मेहमानों ने इस मिठाई की खूब तरीफ की।

खासतौर पर नई दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में कोणार्क सूर्यमंदिर का चक्र आज पूरी दुनिया के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहा है। जी-20 शिखर सम्मेलन में कोणार्क चक्र स्वागत का केंद्र था, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनियाभर से प्रधारे राष्ट्राध्यक्षों और प्रतिनिधियों का स्वागत किया। इस दौरान दुनियाभर में जी-20 शिखर सम्मेलन को देख रहे लोगों ने कोणार्क चक्र को देखा। यह क्षण ओडिशा के लिए गौरव का क्षण था, क्योंकि भारत मंडपम अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी और कन्वेंशन सेंटर में जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में आने वाले विदेशी मेहमान ओडिशा के सूर्य मंदिर के कोणार्क चक्र की प्रतिकृति के सामने एक बार जरूर खड़ा हो रहा था, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वहीं खड़े होकर उनका स्वागत कर रहे थे।

ओडिशा के पुरी जिले में स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी के दौरान गंगा वंश के राजा लांगुला नरसिंघदेव-1 ने करवाया था। 24 तीलियों वाला प्रतिष्ठित पहिया भी भारत के राष्ट्रीय ध्वज में रूपांतरित किया गया है। यह देश के प्राचीन ज्ञान, उन्नत सभ्यता और स्थापत्य उत्कृष्टता को दर्शाता है। कोणार्क चक्र की घूमती गति, समय, कालचक्र के साथ-साथ प्रगति और निरंतर परिवर्तन का प्रतीक है। यह लोकतंत्र के पहिये के एक शक्तिशाली प्रतीक के रूप में कार्य करता है, जो लोकतांत्रिक आदर्शों के लचीलेपन और समाज में प्रगति के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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