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फर्जी होटल वेबसाइटों से करोड़ों लोगों को ठगा जा रहा
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धोखाधड़ी ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों और वास्तविक होटल मालिकों की नींद उड़ाई
भुवनेश्वर। अब साइबर अपराधियों ने अब पर्यटन क्षेत्र को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया है। फर्जी होटर वेबसाइटों के जरिए करोड़ों लोगों को ठगा जा रहा है। इस तरह की धोखाधड़ी ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों और वास्तविक होटल मालिकों की नींद उड़ा दी है।
बताया जाता है कि साइबर धोखेबाज मुख्य रूप से पुरी और भुवनेश्वर में होटल चाहने वाले लोगों को निशाना बना रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, अपराधी कई पांच सितारा होटलों सहित असली होटलों के नाम पर फर्जी वेबसाइट बनाते हैं और कमरे की बुकिंग के बहाने पर्यटकों से पैसे लूटते हैं। यदि कोई इंटरनेट पर कमरे की उपलब्धता खोजता है, तो इस बात की पूरी संभावना है कि उसे ऐसी नकली वेबसाइटें मिल सकती हैं।
मीडिया खबरों के अनुसार, घोटालेबाजों ने एक प्रतिष्ठित होटल पुलिन और होटलपुरीडॉटनेट और अन्य होटलों के नाम पर भी फर्जी वेबसाइट बनाई हैं। ऐसी फर्जी वेबसाइटों के माध्यम से धोखेबाज पर्यटकों से लेनदेन की पूरी राशि सीधे अपने खातों में जमा कर रहे हैं।
होटल पुलिन के मालिक सोमनाथ बनर्जी ने मीडिया को दिए गए बयान में कहा है कि बेंगलुरु के एक मेहमान ने एक होटल बुक किया था और उसे पता चला कि वह धोखाधड़ी का शिकार हो गया है। पुरी में बड़ा घोटाला हुआ है। हमने अपराध शाखा के वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा की और उन्होंने हमें मदद करने का आश्वासन दिया है।
मामला सामने आने के बाद संबंधित होटल मालिकों ने ऐसी फर्जी वेबसाइटों के जरिए कई ग्राहकों को ठगे जाने के बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
होटल एंड रेस्तरां एसोसिएशन के अध्यक्ष जेके मोहंती ने बताया कि यह पाया गया है कि एक प्रतिष्ठित होटल ने 25 से 26 मामलों की सूचना दी है जिसमें ग्राहकों ने साइबर जालसाजों को लगभग 25 से 26 लाख रुपये का भुगतान किया है। एक अन्य होटल के मामले में ग्राहकों को 5 से 6 लाख रुपये तक का चूना लगाया गया है। चूंकि बहुत से लोग ऑनलाइन होटल बुक कर रहे हैं, इसलिए कई लोगों को यह नहीं पता है कि ऐसी वेबसाइटों की प्रामाणिकता की जांच कैसे करें। विशेषज्ञों के मुताबिक, लोगों को हमेशा ऑनलाइन बुकिंग करने के बजाय टूर एग्रीगेटर्स का विकल्प चुनना चाहिए। एक साइबर विशेषज्ञ ने कहा कि किसी को वेबसाइट के साथ-साथ संबंधित बैंक खाते और आईएफएससी कोड को भी सत्यापित करना चाहिए कि यह संबंधित क्षेत्र/स्थान से है या नहीं। किसी को भी ट्रकॉलर पर भरोसा नहीं करना चाहिए। किसी को वेबसाइट और उसकी प्रोफाइल को सत्यापित करना चाहिए। एक नकली वेबसाइट में आमतौर पर कई डेटा गायब होते हैं। किसी को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि आईएफएससी कोड उसी क्षेत्र का होना चाहिए जहां होटल स्थित है।
चूंकि साइबर अपराधी निर्दोष यात्रियों को धोखा देने के लिए होटलों की फर्जी वेबसाइट बना रहे हैं। इसलिए ओडिशा अपराध शाखा ने होटल मालिकों के पदाधिकारियों के साथ एक बैठक की। बैठक का उद्देश्य घोटालेबाजों के खिलाफ संयुक्त रणनीति बनाना था।
पुरी एसपी ने बताया कि जल्द ही एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया जाएगा और एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा। जो व्यक्ति या पर्यटक ऐसी फर्जी वेबसाइटों से धोखा खाते हैं, वे इस सुविधा का उपयोग करके मदद ले सकते हैं।