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शीघ्र न्याय देने में ओडिशा हाईकोर्ट बने मिसाल – राष्ट्रपति

  •  द्रौपदी मुर्मू ने उच्च न्यायालय से जुड़े लोगों से इस दिशा में काम करने का आग्रह किया

  •  कहा- इससे निर्दोष लोगों को मिल सकती है मुक्ति

कटक। ओडिशा की बेटी तथा देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज बुधवार को यहां के हाईकोर्ट को एक बड़ी चुनौती भरा लक्ष्य दे दिया और उम्मीद जताई कि ओडिशा हाईकोर्ट इसे हासिल करते हुए देश में एक मिसाल कायम करेगा। तीन दिवसीय ओडिशा दौरे पर आईं द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि ओडिशा होईकोर्ट शीघ्र न्याय देने की दिशा में काम करके देश में मिसाल कायम करे। उन्होंने कहा कि देश में कानूनी पेशे से जुड़े हर व्यक्ति को स्पीड ट्रायल और त्वरित न्याय की दिशा में काम करना चाहिए। इससे उन निर्दोष लोगों को मुक्ति मिल सकती है, जो छोटे-मोटे आरोपों में जेल में बंद हैं। यह मेरे दिल के करीब का विषय है और मैंने पहले भी इसके बारे में बात की है। उक्त बातें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज बुधवार को कहीं। वह तीन दिवसीय दौरे पर ओडिशा आई हैं।

न्याय में देरी बड़ी चिंता का विषय

कटक स्थित ओडिशा हाईकोर्ट के प्लेटिनम जुबली समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए मुर्मू ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में अपने लंबे अनुभव में मैंने ऐसे उदाहरण देखे हैं कि लोगों को उस अपराध के लिए निर्धारित सजा से अधिक समय तक जेल में रखा गया, जिसके लिए वे आरोपी हैं। इस तरह की देरी एक बड़ी चिंता का विषय है। इसके कारण निर्दोष व्यक्ति अपने जीवन का सर्वोत्तम समय खो देते हैं। इसलिए मैं ओडिशा उच्च न्यायालय से जुड़े सभी लोगों से शीघ्र न्याय देने की दिशा में काम करने और पूरे देश के लिए एक उदाहरण स्थापित करने का आग्रह करूंगी।

कानूनी पेशा समय की कसौटी पर खरा उतरा

मुर्मू ने आज बुधवार को कटक के जवाहरलाल नेहरू इंडोर स्टेडियम में कोर्ट के 75 साल पूरे होने के समापन समारोह में भाग लिया। इस दौरान समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने अपना भाषण जय जगन्नाथ के साथ शुरू किया और कहा कि भारत में कानूनी पेशा समय की कसौटी पर खरा उतरा है। इसने नागरिकों का विश्वास और सम्मान अर्जित किया है। यह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक के रूप में मजबूत है।

समारोह में शामिल होकर खुशी जताईं

राज्य के उच्च न्यायालय के प्लेटिनम जुबली समारोह का हिस्सा बनने पर अपनी खुशी व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि आज आपके समारोह में शामिल होकर मुझे खुशी हो रही है। मैं न केवल इसलिए खुश हूं, क्योंकि उच्च न्यायालय अपनी 75वीं वर्षगांठ मना रहा है, बल्कि कानूनी दिग्गजों और अन्य प्रतिष्ठित हस्तियों की उपस्थिति के कारण भी खुश हूं।

राज्य गठन के 12 साल बाद स्थापित हुआ हाईकोर्ट

उन्होंने बताया कि जैसा कि आप सभी जानते हैं कि ओडिशा 1 अप्रैल 1936 को एक राज्य बन गया था। यहां उच्च न्यायालय की स्थापना राज्य के गठन के लगभग 12 साल बाद 1948 में इसी दिन हुई थी। इस उच्च न्यायालय की स्थापना लंबे समय से चली आ रही ओडिशा के लोगों की आकांक्षाओं को दर्शाती है।

तकनीकी प्रगति की पहल सराहनीय

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि यदि कोई संस्था जो समय के साथ नहीं बदलती, तो वह पिछड़ जाती है। मुझे बताया गया है कि ओडिशा उच्च न्यायालय ने न्याय वितरण प्रणाली में तकनीकी प्रगति को शामिल करने का प्रयास किया है। मैं कई आधुनिक, नवीन और प्रौद्योगिकी-संचालित परिवर्तनों के माध्यम से न्याय वितरण प्रणाली को सुव्यवस्थित और तेज करने की उच्च न्यायालय की पहल की सराहना करती हूं।

लम्बित मामलों में एक चौथाई की कमी

मुर्मू ने कहा कि मुझे बताया गया है कि विगत दो वर्षों में न्यायालय द्वारा त्वरित न्याय प्रदान करने के परिणामस्वरूप लम्बित मामलों में एक चौथाई की कमी हुई है। इसके लिए मैं मुख्य न्यायाधीश डॉ जस्टिस एस मुरलीधर और उनकी पूरी टीम की सराहना करती हूं।

पर्यावरण और वन्य जीव संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता दें

राष्ट्रपति ने कहा कि कार्यपालिका और विधायिका के साथ-साथ न्यायपालिका को भी पर्यावरण और वन्य जीव संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए। यदि हम अपनी अगली पीढ़ी को एक सुरक्षित भविष्य देना चाहते हैं, तो हमें पर्यावरण संरक्षण पर निरंतर ध्यान देने की जरूरत है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि वंचित वर्गों को फ्री कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए कदम उठाए गए हैं। अनेक अधिवक्ता नि:शुल्क कानूनी सलाह देने के लिए भी आगे आ रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि इससे जन-साधारण को न्याय मिलना और भी सुगम होगा।

कारगिल के नायकों को याद किया

राष्ट्रपति मुर्मू ने कारगिल के नायकों को याद किया और कहा कि कारगिल विजय दिवस के अवसर पर मैं हमारे देश के बहादुर सैनिकों के प्रति अपना आभार व्यक्त करती हूं और उन सेना के जवानों को नमन करती हूं, जिन्होंने कर्तव्य के दौरान अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। कार्यक्रम में राज्यपाल प्रो गणेशीलाल, ओडिशा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायाधीश एस मुरलीधर, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष धरणीधर नायक, राज्य के विधि मंत्री जगन्नाथ सारका की भी उपस्थिति रही।

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