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निर्धारित समय से तीन घंटे पहले शुरू हुई रथों को खींचने की प्रक्रिया
इण्डो एशियन टाइम्स, पुरी।
लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में पुरी में भगवान श्री जगन्नाथ की बाहुड़ा यात्रा आज बुधवार को आयोजित हुई। अपने जन्मवेदी श्रीगुंडिचा मंदिर में रहने के बाद नौवें दिन भगवान जगन्नाथ, देव बलभद्र व देवी सुभद्रा के साथ श्रीमंदिर के लिए प्रस्थान किए। बाहुड़ा यात्रा में शामिल होने के लिए राज्य से तथा देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पुरी पहुंचे थे।
सुबह में इस यात्रा के लिए रीति-नीति हुई। सुबह चार बजे मंगला आरती के साथ अन्य नीति संपादित की गईं। इसके बाद गोपाल बल्लभ व खिचड़ी भोग नीति हुई।
इसके बाद चतुर्धा मूर्तियों की पहंडी बिजे की नीति शुरू हुई। सबसे पहले सुदर्शन जी की पहंडी शुरू हुई। सुदर्शन जी देवी सुभद्रा के रथ दर्पदलन पर बैठे। इसके बाद भगवान बलभद्र को पहंडी के जरिये तालध्वज रथ में लाया गया। इसके बाद देवी सुभद्रा को पहंडी के जरिये दर्पदलन में लाया गया। सबसे अंत में जगन्नाथ जी पहंडी के जरिये नंदीघोष रथ में विराजमान हुए। इस दौरान चारों और हरि बोल व जय जगन्नाथ की ध्वनी गूंज रही थी।
पुरी के गजपति महाराज ने तीनों रथ पर छेरा पहंरा की नीति संपादित की। उन्होंने सबसे पहले तालध्वज इसके बाद दर्पदलन व सबसे अंत में जगन्नाथ जी के रथ नंदीघोष में छेरा पहंरा किया। इसके बाद तीनों रथों को खिंचने की प्रक्रिया प्रारंभ हुई।
हालांकि चार बजे से रथों को खींचने की प्रक्रिया शुरू करने का कार्यक्रम निर्धारित किया गया था, लेकिन इस बार सारी नीतियां काफी शीघ्र होने लगीं। इस कारण लगभग तीन घंटे पूर्व ही यानी लगभग दोपहर 1.10 बजे भगवान बलभद्र के रथ को खींचने की प्रक्रिया शुरू हुई। इसके बाद माता सुभद्रा का रथ दर्पदलन व अंत में भगवान जगन्नाथ का रथ नंदिघोष को खींचने की प्रक्रिया शुरू हुई।
रथ के रस्सी टूट जाने के कारण छह घायल
भगवान बलभद्र के रथ तालध्वज को खींचते समय रस्सी टूट गई। इस कारण एक भोई सेवायत समेय छह श्रद्धालु घायल हो गये। उन्हें पुरी स्थित मेडिकल में भर्ती कराया गया है।