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नव दास हत्याकांड की चार्जशीट पर राजनीति गरमाई

  • भाजपा और कांग्रेस ने बीजद पर साधा निशाना

  • मामले में कुछ बड़े लोगों को बचाने का लगाए आरोप

भुवनेश्वर। तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री नव किशोर दास हत्याकांड की चार्जशीट को लेकर राजनीति गरमा गई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस ने चार्जशीट को लेकर बीजद पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि उसने इस मामले में शामिल कुछ बड़े लोगों को बचाया है। विपक्षी दल भाजपा आरोप लगा रही है कि नव किशोर दास हत्याकांड सरकार द्वारा प्रायोजित और सुनियोजित हत्या थी। हालांकि अपराध शाखा द्वारा प्रस्तुत चार्जशीट में आईपीसी की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) का उल्लेख नहीं है। इस पर भाजपा और कांग्रेस ने बीजद को घेर लिया है।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनमोहन सामल ने कहा कि 120 दिनों में कोई जांच नहीं की गई। चार्जशीट इस तरह से तैयार की गई है कि गोपाल दास की रिहाई का रास्ता साफ हो सके। चर्चा है कि मामले में मुख्यमंत्री शामिल हैं। इसमें मुख्यमंत्री के करीबी के शामिल होने की भी चर्चा है। हम एक विशेष एजेंसी द्वारा जांच की मांग करते हैं। इधर, भाजपा अध्यक्ष सामल का समर्थन करते हुए कांग्रेस नेता ताराप्रसाद बाहिनीपति ने अपराध शाखा की चार्जशीट को मूल्यहीन करार दिया। उन्होंने कहा कि यह चार्जशीट स्वीकार्य नहीं है। इसमें यह उल्लेख किया गया है कि गोपाल दास ने निजी रंजिश पर नव किशोर दास की हत्या की थी। उसने उससे द्वेष क्यों पाल रखा था? मुझे यकीन है कि इसमें साजिश है। इस मामले में कई बड़े लोग शामिल हैं और उन्हें बचाया जा रहा है। इसलिए एसआईटी जांच की जरूरत है।

आरोप मनगढ़ंत हैं – बीजद

इधर, बीजद विधायक प्रफुल्ल सामल ने अपनी सरकार का पक्ष लेते हुए कहा कि नवीन बाबू कभी किसी चीज में दखल नहीं देते। उनका कहना है कि कानून अपना काम करेग। विपक्षी भाजपा और कांग्रेस के आरोप मनगढ़ंत हैं।

व्यक्तिगत दुश्मनी के बारे में जानकारी नहीं – आरोपी की पत्नी

नव किशोर दास हत्या मामले में एक और महत्वपूर्ण घटनाक्रम में मुख्य आरोपी गोपाल दास की पत्नी जयंती दास ने एक टीवी चैनल से बात करते हुए कहा कि उन्हें नहीं पता कि उनके पति की मंत्री से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी थी या नहीं। उसके बयान ने चल रहे विवाद को हवा दे दी है, क्योंकि अपराध शाखा ने अपनी चार्जशीट में उल्लेख किया है कि गोपाल की नव किशोर दास के खिलाफ व्यक्तिगत दुश्मनी थी। जयंती ने कहा कि गोपाल दास ने मुझे मंत्री के साथ अपनी व्यक्तिगत दुश्मनी के बारे में कभी नहीं बताया। मैं इससे आगे कुछ नहीं जानती।

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