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ओडिशा में कुदरत का विकराल रूप, 21091 बार बिजली गिरी

  • चिलिका झील में चार फीट ऊंची उठी लहरें

  • कोरापुट में 45 मिनट में बिजली मचाती रही तांडव

भुवनेश्वर। ओडिशा में इन दिनों कुतरत का विकराल रूप देखने को मिल रहा है। रविवार को कुदरत कहर के रूप में कोरापुट जिले में 45 मिनट में 21 हजार 91 बिजली गिरी, जबकि विश्वविख्यात चिलिका झील में चार फीट ऊंची लहरें उठीं। हालांकि इस दौरान किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।

बताया गया है कि कोरापुट जिले में कल रविवार को कालबैसाखी के दौरान प्रकृति ने जम कर कहर ढाया। तेज आवाज के साथ आसमान से बिजली गिरने से पूरा जिला दहल उठा थी। जिले के बैपारीगुड़ा, बोरीगुम्मा, कोरापुट, लामतापुट, जयपुर, सेमिलिगुड़ा, नंदपुर और कुंदुरा में 45 मिनट में 21 हजार 91 बिजली गिरी है। हालांकि इस दौरान किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। मौसम विभाग ने पहले ही बिजली गिरने को लेकर चेतावनी जारी की थी। इससे पहले मार्च में भद्रक के बासुदेवपुर में 30 मिनट में 5000 से अधिक बार बिजली गिरी थी और पांच लोगों की मौत हुई थी।

कोरापुट में कभी नहीं देखा था ऐसा कहर

बताया जाता है कि रविवार को दोपहर बाद अचानक मौसम का मिजाज बदला और दोपहर तक बादल छाए रहे। दोपहर साढ़े तीन बजे के करीब तेज हवा और बारिश शुरू हो गई। देखते ही देखते ही बिजली की गरज शुरू हो गई। कहा जा रहा है कि बारिश और बिजली का कहर ऐसा पहली बार देखने को मिला है। जिले के लोगों ने प्रकृति का ऐसा मारक रूप पहले कभी नहीं देखा था। दामिनी ऐप ने करीब 45 मिनट तक लगातार बिजली गिरने को रिकॉर्ड किया है। इस साल आसमानी बिजली का बढ़ना जलवायु में बड़े बदलाव का संकेत बताया जा रहा है।

कोरापुट जिले में बढ़ रहा तापमान

इस संबंध में जिला आपात अधिकारी ज्ञानजीत त्रिपाठी ने कहा कि कोरापुट जिले में तापमान दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इसी के साथ सोमवार का अधिकतम तापमान 36 से 38 डिग्री के बीच रहा। इससे वातावरण में उमस बढ़ गई। पूर्व के अनुमान के अनुसार जिले के सभी प्रखंडस्तरीय अधिकारियों व तहसीलदारों को ऐसी स्थिति से निपटने के लिए आगाह किया गया था। उन्होंने कहा कि यदि नुकसान की रिपोर्ट जल्द से जल्द सौंपी जाए तो वास्तविक नुकसान का आंकलन किया जाएगा।

झील में भी दिखा कालबैसाखी का तांडव

चिलिका झील में रविवार की दोपहर कालबैसाखी का तांडव देखने को मिला। तूफान के कारण चिलिका झील में 4 फीट ऊंची लहरें उठीं। इससे कृष्णाप्रसाद पुल के पास दो नावें आपस में टकरा गईं और पलट गईं। हालांकि नाव में सवार छह मछुआरे सुरक्षित वापस किनारे पर लौट आये, जबकि कुछ मछुआरे अपने नाव के साथ तट पर लौटते समय तूफान में फंस गए।

 50 किमी की गति से बही हवा

बताया गया है कि रविवार को शाम चार बजे आसमान में काले बादलों के साथ हवा चलने लगी। हवा की गति लभगभग 50 किमी प्रति घंटे से अधिक थी। तेज हवा के कारण जह्नीकुड़ा घाट और सातपड़ा घाट के बीच उच्च ज्वारें उत्पन्न हुईं। उस समय तक जह्नीकुड़ा के वसापोल में बाइक और चार पहिया वाहन समेत सैकड़ों यात्रियों से लदे हुए नाव को रोक दिया गया था। जह्नीकुड़ा घाट में छह यात्री नावों रोका गया। इसमें 80 से अधिक यात्री और 50 से अधिक बाइकें सवार थीं।

10 से अधिक नावें बर्बाद

झील में ऊंची लहरे उठाने के कारण 10 से अधिक नावें बर्बाद हो गई हैं। स्थानीय सीडीए अधिकारी ने कहा कि घटना के बाद यात्री नावों यातायात बंद कर दिया गया और वसापोल को दो घाटों में लंगर डाला गया और किनारे पर रखा गया। वहीं कालबैसखी का असर कम होने के बावजूद प्रशासन ने अंधेरे के कारण चिलिका में नावों का संचालन बंद करने का आदेश दिया है।

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