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ऑपरेशन करने में लगे 14 घंटे
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ओडिशा में अपनी तरह की पहली सर्जरी करने में युवा डॉक्टरों के समूह को मिली सफलता
भुवनेश्वर। एम्स भुवनेश्वर के युवा डॉक्टरों के एक समूह ने एक युवा महिला की जान बचाने के लिए एक दुर्लभ किस्म के लेरिंक्स कैंसर की दुर्लभ सर्जरी की। 25 वर्षीय महिला जगतसिंहपुर जिले की निवासी बताई गई है। यह महिला भोजन और श्वासनली के जंक्शन पर कैंसर से पीड़ित थी। इससे उसे सांस लेने और निगलने में कठिनाई हो रही थी। कैंसर की सामान्य किस्म के विपरीत यह रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी के लिए प्रतिरोधी थी। बीमारी बढ़ने के कारण रोगी के लिए बोलने में, सांस लेने में और भोजन करने में परेशानियां हो रही थीं।
एम्स भुवनेश्वर आने से पहले इस महिला ने इलाज के लिए लगभग एक वर्ष तक कई अस्पतालों का दौरा किया, लेकिन फायदा नहीं हुआ। अंत में उसने एम्स भुवनेश्वर के चिकित्सकों को दिखाया और उसकी जान बचाने के लिए सर्जनों ने नए तरीके से मरीज का ऑपरेशन किया।
ईएनटी, सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के 10 डॉक्टरों के समूह ने इस चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया को करने में 14 घंटे का समय लिया।
ईएनटी सर्जन ने आवाज बॉक्स, श्वासनली के ऊपरी भाग, ग्रासनली ग्रासनली और थायरॉयड ग्रंथि के हिस्से को हटा दिया।
गैस्ट्रोसर्जन ने कोलन को विच्छेदित किया और स्टर्नम (स्तन की हड्डी) और हृदय के बीच जीभ के आधार को पेट से जोड़ने वाली एक सुरंग के माध्यम से इसे गर्दन में लामबंद कर दिया, जिससे एक नया भोजन चैनल बन गया। ऑपरेशन के बाद मरीज को आईसीयू में रखा गया।
सर्जरी के दो महीने बाद रोगी सामान्य श्वास और भोजन के सेवन से ठीक हो रही है।
एम्स भुवनेश्वर के कार्यकारी निदेशक डॉ आशुतोष बिस्वास ने नए जोश के साथ लोगों की सेवा करने की राष्ट्रीय संस्थान की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कुशल तरीके से इस जीवन रक्षक सर्जरी के लिए डॉक्टरों की टीम को बधाई दी है।
डॉ दिलीप कुमार सामल, सहायक एसोसिएट प्रोफेसर ईएनटी, डॉ तन्मय दत्ता, सहायक प्रो सर्जिकल, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और डॉ अजितेश साहू, सहायक प्रोफेसर (एनेस्थीसिया), ट्रॉमा एंड इमरजेंसी विभाग ने इस प्रक्रिया का नेतृत्व किया। इस सर्जरी में सीनियर रेजिडेंट और नर्सिंग स्टाफ ने भी हाथ मिलाया। डॉ प्रदीप्त कुमार परिडा, एचओडी ईएनटी ने टीम का मार्गदर्शन किया। डीडीए (आई/सी) रश्मि रंजन सेठी ने भी टीम को इस प्रयास के लिए बधाई दी है।