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श्री हनुमान त्रिवेणी कथा में कथावाचक विजयशंकर मेहता की सुंदर व्याख्या
भुवनेश्वर। स्थानीय मंचेश्वर चन्द्रशेखरपुर रेलसभागार में चल रही तीन दिवसीय श्री हनुमान त्रिवेणी कथा की दूसरी शाम उज्जैन से आमंत्रित कथा व्यास विजयशंकर मेहता ने श्री हनुमान चालीसा की अपनी सुमधुर गायकी मण्डली के साथ सुंदर गायन किया। उन्होंने ने पंचदेवों की। अपने गुरु की वंदना की। सभी को हिन्दू नवसंवत्सर नववर्ष की शुभकामनाएं दी।साथ ही साथ उन्होंने श्रीश्री जगन्नाथ जी की वंदना की। उन्होंने हनुमान जी का एक भजन, “हमारे हनुमान कहता चल” का सुमधुर स्वर में गायन किया। गौरतलब है कि श्री हनुमान त्रिवेणी कथा का भुवनेश्वर में आयोजन फ्रेंड्स आफ ट्राइबल सोसाइटी और श्री हरि सत्संग समिति भुवनेश्वर ने पहली बार किया है जिसमें कटक,जटनी और भुवनेश्वर के सैकड़ों हनुमान भक्त उपस्थित होकर पूरे मन से प्रतिदिन कथा श्रवण कर रहे हैं। उन्होंने कथाक्रम में जीवन के आखिरी पलों में हनुमान चालीसा वाचन का संदेश दिया। कथा के क्रम में उन्होंने श्रीरामचरितमानस के सात काण्डों में से व्यास जी ने सुंदर काण्ड को शांति का शब्दावतार के रूप में बताया। उनके अनुसार आज की युवा पीढ़ी सुख की पीढ़ी है जो कथाश्रवण से दूर होती जा रही है। उन्होंने सुंदर काण्ड नाम की सार्थकता को सामाजिक रूप में स्पष्ट किया। उनके अनुसार सुंदर काण्ड में शोर और शून्य की चर्चा है। सुंदर काण्ड हनुमान जी के जीवन की सफलता का काण्ड है। अमृत और विषपान के अंदाज को बदलने का संदेश है सुंदर काण्ड। उन्होंने कथाक्रम में मांगी लाल और चंचला की कहानी सुनाई जिनके जीवन में कभी चैन नहीं होता है।
उन्होंने सुंदर काण्ड में वर्णित सक्रियता को स्पष्ट किया।सक्षमता,तन,धन और मन की सक्षमता को स्पष्ट किया। उन्होंने जामवंत के नाम का उल्लेख करते हुए हमें अपने बड़े-बुजुर्गों के सम्मान की सीख दी। उन्होंने भक्ति में सक्रियता को अपनाने की बात कही। उन्होंने तन-मन को सतत चलते रहने का सुझाव दिया। मन अंग नहीं एक मानसिक अवस्था का नाम है। मन के अभाव का नाम ध्यान है, यह भी उन्होंने बताया। उन्होंने सभी को शत्रु को मित्र बनाने को कहा। उनके अनुसार संघर्ष जीवन का एक अनुभव है। उन्होंने बताया कि एक बार वे पाकिस्तान में हनुमान कथा कहने गये। वहां पर रात के करीब बारह बजे तक लोग उनकी कथा सुने। कोई सोया नहीं। इसलिए श्रोताओं को हमेशा जागकर कथा श्रवण करना चाहिए। उन्होंने कथाक्रम में लंका में विभीषण की कुटिया का उल्लेख किया जहां पर राम रुपी सकारात्मक ऊर्जा थी। वह कुटिया रामदरबार मंदिर थी जिसके चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा थी। उस कुटिया में आध्यात्मिक के शुभचिन्ह लगे थे। आंगन में तुलसी का पौधा था। और उस कुटिया का मालिक विभीषण राम- नाम कह रहा था। हनुमान जी ने विभीषण के दर्शन किए। दोनों ने एक-दूसरे का कुशलक्षेम जाना। हनुमान जी ने विभीषण को रामनाम के साथ-साथ रामकाम करने का विशेष निवेदन किया। कथाव्यास जी ने सभी हिन्दू घरों में ये सारी व्यवस्थाएं आज भी करने की सलाह दी। उन्होंने सुंदर काण्ड को सभी प्रकार से सुंदर बताया। उन्होंने आगत सभी को संकल्पित भक्ति जीवन जीने का संदेश दिया। उन्होंने हनुमान और रावण प्रसंगों का भी सुंदर वर्णन किया।