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कोल्ड स्टोरेज की कमी के कारण किसानों में घट रही है रूचि
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भद्रक में आलू खेती का रकबा काफी गिरा
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कई प्रखंडों में नहीं हो रही है खेती
भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार की प्रमुख योजनाओं में से एक आलू मिशन योजना अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ती नजर आ रही है। भद्रक जिले में आलू की खेती का रकबा लगभग एक चौथी गिरकर नीचे आ या है। खबर है कि राज्य में पर्याप्त मात्रा में कोल्ड स्टोरेज नहीं होने के कारण किसानों की रूचि भी घटती जा रही है, जबकि राज्य सरकार आलू की खेती को अधिक प्राथमिकता देने पर जोर रहा है। विभिन्न जिलों में परंपरागत धान की खेती के स्थान पर आलू की खेती के लिए हर प्रकार की सुविधा एवं सहयोग दिया जा रहा है, लेकिन राज्य में आलू की खेती उम्मीद के मुताबिक नहीं हो रही है।
हालांकि भद्रक जिले के किसानों ने आलू की खेती में दिलचस्पी दिखाई थी, जो अब वक्त के साथ-साथ यह दिलचस्पी कम होती जा रही है। राज्य सरकार की आलू मिशन योजना वास्तव में आगे ही नहीं बढ़ पा रही है।
आलू किसानों को बीज आपूर्ति से लेकर आलू की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 58 हजार रुपये की सब्सिडी दी जा रही है, लेकिन भद्रक जिले में आलू किसानों को अपने उत्पादित आलू को स्टोर करने के लिए कोल्ड स्टोरेज की कमी के कारण अपने उत्पादित आलू को संरक्षित करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इससे पहले जिले में इतनी ही मात्रा में आलू की फसल होती थी। अब यह कम होता जा रहा है। भद्रक जिले के किसान अब आलू की खेती में रुचि नहीं ले रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, पहले भद्रक जिले में 200 से 2500 हेक्टेयर भूमि पर आलू की खेती की जाती थी। पिछले साल मात्र 88 हेक्टेयर जमीन पर आलू की खेती हुई थी। इस साल यह घटकर 59 हेक्टेयर रह गयी है। जिले में आलू की खेती लगातार घट रही है। जिले के 7 प्रखंडों में से 5 प्रखंडों में आलू की खेती हो रही है, जबकि अन्य दो प्रखंडों में बिल्कुल भी खेती नहीं हो रही है।
इस वर्ष चांदबाली प्रखंड में 23 हेक्टेयर भूमि पर आलू की खेती की गई है, जबकि भद्रक प्रखंड में 10 हेक्टेयर भूमि पर आलू की खेती की गई है। प्रखंड में 4 हेक्टेयर भूमि में आलू की खेती की गई है। भंडारीपोखरी प्रखंड में 3.33 हेक्टेयर भूमि पर आलू की खेती की जाती है, जबकि बासुदेवपुर प्रखंड में 3.43 हेक्टेयर भूमि पर आलू की खेती की जाती है। इसके साथ ही धामनगर और तिहिड़ी ब्लॉक में आलू की खेती की ही नहीं गई है। इस वर्ष जिले के आलू किसानों को आधिकारिक तौर पर खेती के लिए 899 क्विंटल आलू बीज की आपूर्ति की गई है, जिसमें से सालाना 10 हजार मीट्रिक टन आलू उत्पादन का लक्ष्य है। लोगों ने सिर्फ सरकारी बीज से ही आलू नहीं उगाए हैं। जिले के कुछ और किसानों ने अपनी पहल पर अपने धान के बागानों में आलू की खेती की है।