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ओडिशा की राजनीति में जोड़-तोड़ की होगी शुरुआत

  •  बीआरएस पार्टी ने किया सरकार बनाने का दावा

  • कहा-एक महीने में कई हाई-प्रोफाइल नेता बीआरएस में होंगे शामिल

  • बीजद, भाजपा और कांग्रेस ने इस दावे की खिल्ली उड़ाई

भुवनेश्वर। भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की ओडिशा इकाई ने आखिरकार अपने राजनैतिक  पत्ते खोलते हुए दावा किया कि पार्टी ओडिशा में सरकार बनाएगी। दूसरी ओर, बीजू जनता दल (बीजद), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस ने इस दावे की खिल्ली उड़ाई।

बीआरएस ने कहा कि एक महीने में कई हाई-प्रोफाइल नेता बीआरएस में शामिल होने जा रहे हैं। पहले चरण में तत्कालीन जनता दल के नेता शामिल होंगे। फिर बीजू जनता दल (बीजद), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के नेता जो अपने-अपने दलों में दरकिनार कर दिए गए हैं, वे शामिल होंगे। इन नेताओं का एक बड़ा हिस्सा सत्तारूढ़ बीजद से होगा।

बीआरएस की ओडिशा इकाई ने भी कहा कि वे तेलंगाना मॉडल को ओडिशा में दोहराने जा रहे हैं। इसके लिए दो सूत्री योजना पहले ही बना ली गई है। पहले काबिल लोगों को 147 विधानसभा क्षेत्रों का प्रभार दिया जाएगा। दूसरा, पार्टी अपने पार्टी चिह्न ‘कार’ के साथ गांवों में जाएगी।

बीआरएस नेता जयराम पांगी ने कहा कि जनता दल में एक बार नेता पार्टी में शामिल होने वाले पहले व्यक्ति होंगे। फिर बीजद, भाजपा और कांग्रेस को अपनी पार्टियों में दरकिनार करने वाले नेता आएंगे। हमारी पार्टी का सिंबल कार है। यह ओडिशा के प्रत्येक गांव तक पहुंचेगा।

इसका समर्थन करते हुए बीआरएस के एक अन्य नेता अक्षय कुमार ने कहा कि किसानों की राजनीतिक रीढ़ मजबूत नहीं हुई, तो किसानों की सौदेबाजी की जाएगी। इसके लिए तेलंगाना मॉडल उपयुक्त रहेगा। इसी महीने हम 147 विधानसभा क्षेत्रों के संभावित लोगों को केंद्र में लाएंगे।

इस बीच, राज्य के राजनीतिक गलियारों में बीजद से विजय महापात्र और दिलीप राय, देवाशीष नायक और पूर्व सांसद तथागत सतपथी, मोहम्मद मुकिम जैसे नेताओं के बीआरएस में शामिल होने को लेकर अटकलें लगायी जा रही हैं।

दूसरी ओर, बीजद, भाजपा और कांग्रेस ने बीआरएस नेताओं के दावे को बहुत कम महत्व दिया।

 राज्य भाजपा अध्यक्ष समीर मोहंती ने कहा कि समय बताएगा कि लोग पार्टी को दरकिनार करेंगे या सत्ता में वोट देंगे।

इसी तरह, ओपीसीसी अध्यक्ष सरत पटनायक ने कहा कि सरकार बनाने का दावा करने वाली पार्टियों को ढूंढना आम बात है, लेकिन हकीकत सच्चाई से कोसों दूर है। ओडिशा पर बीआरएस का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। लिहाजा 2024 के आम चुनाव में असली लड़ाई बीजद और कांग्रेस के बीच होगी।

अपनी प्रतिक्रिया में बीजद विधायक शशि भूषण बेहरा ने कहा कि जब तक ओडिशा के लोगों को पता चल जाएगा कि बीआरएस क्या है, तब तक चुनाव समाप्त हो चुका होगा। इसका बीजद पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

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