Home / Odisha / श्री जगन्नाथ मंदिर में चूहों और तिलचट्टों का तांडव

श्री जगन्नाथ मंदिर में चूहों और तिलचट्टों का तांडव

  • तीनों देवों के मूर्तियों पर मंडरा रहा खतरा

  • चूहों की गंदिगी से मूर्तियों पर लग रहे हैं धब्बे

  • गर्भगृह में रत्न सिंघासन के चारों तरफ घूमने से सेवायतों की परेशानियां बढ़ीं

पुरी। पुरीधाम स्थित महाप्रभु श्री जगन्नाथ मंदिर में चूहों और तिलचट्टों ने उत्पात मचा रखा है। इससे मंदिर के गर्भगृह में देवताओं की मूर्तियों की संरचनाओं पर भी कुतरने का खतरा मंडराने लगा है। चूहों और तिलचट्टों की बढ़ती संख्या सेवायतों के साथ-साथ श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के लिए भी सिरदर्द बन गई है। इस मुद्दे पर नाराजगी व्यक्त करते हुए सिंघारी सेवायतों, जो देवताओं को कपड़ों और फूलों से सजाते हैं, ने शिकायत की है कि चूहे और तिलचट्टे गर्भगृह में रत्न सिंघासन के चारों ओर घूम रहे हैं। वे उनकी सेवा में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं।

एक सिंघारी सेवायत ने कहा कि जब हम देवताओं को दर्शन देने के लिए तैयार करते हैं, तो अक्सर बड़ी संख्या में तिलचट्टों के उत्पातों का हमें सामना करना पड़ता है। वे उड़कर सिरों पर मंडराने लगते हैं। इसके अलावा प्रतिमाओं के पास चूहे भी देखने को मिलते हैं। कई बार तो हमें डराने की कोशिश करते हैं, लेकिन हम चुपचाप कर्तव्य निभाते हैं, क्योंकि हम प्रभु की सेवा में रहते हैं। अगर स्थिति यही रही तो बड़ा खतरा हो सकता है। प्रशासन को इस संबंध में उपाय करना चाहिए।

एक अन्य सेवायत ने मीडिया से कहा कि चूहे की गंदिगी काफी वहां स्थितियां असहज करती हैं। मूर्तियों के लिए संभावित खतरा पैदा करती हैं। इसलिए हम अक्सर देवताओं का बनका लागी अनुष्ठान करते हैं। हमने कई बार मंदिर प्रशासन को इस मुद्दे से अवगत कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

कुछ अन्य सेवायतों ने भी कहा कि यह शत-प्रतिशत सत्य है। इस समस्या हाल की नहीं निकल रहा है। वर्षों से समस्या बनी हुई है। इस कारण से देवताओं की बांका लागी पखवाड़े या महीने के अंतराल में अक्सर की जाती है। चूहे की बीट से देवताओं के चेहरे पर धब्बे लग जाते हैं।

वरिष्ठ सेवायत विनायक दास महापात्र ने भी मंदिर में चूहे और तिलचट्टे के खतरे को स्वीकार किया और कहा कि मंदिर प्रशासन ने कलाहाट द्वार के पास चूहे पकड़ने वाले बक्से रखे हैं। हालांकि, चूहे कभी भी जाल में नहीं फंसते हैं, क्योंकि वे आमतौर पर रत्न सिंघासन के ऊपर चंदुआ में छिपे रहते हैं। प्रशासन की ओर से समस्या के समाधान के प्रयास जारी हैं।

इस मुद्दे पर एसजेटीए प्रशासक (अनुष्ठान) जितेंद्र कुमार साहू ने कहा कि रत्न सिंहासन पर विराजमान देवताओं को कोई खतरा नहीं है। चूहों और तिलचट्टे से छुटकारा पाने के लिए निवारक उपाय किए जा रहे हैं। मूर्तियों पर चंदन और कपूर लगाया जाता है।

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