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कुष्ठ रोग ने मां से बेटी को किया अलग
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15 साल पहले आस्ट्रेलिया के जोड़े ने ममता को लिया गोद
भुवनेश्वर। मां से मिलने की बेकरारी का दर्द और पत्र में ममता की तड़प से उपजी पंक्तियां पाठकों के दिल को पिघला रही हैं। पत्र पढ़ने वाले लोग आंसुओं को नहीं रोक पा रहे हैं। दर्द की कहानी दिल में उतर रही है। मां से मिलने के लिए बेटी ममता तड़प दिल पसीजा रही है और हर बार मिलने की चाहत को लेकर भेजे गये पत्र लोगों को रूला रहा है। लेकिन मां का कहीं अता-पता नहीं है। दरअसल मां-बेटी 15 साल पहले एक-दूसरे से अलग हुईं थीं। मां की लाचारियों ने बेटी को दिल करने के लिए मजबूर कर दिया था, लेकिन अब बेटी जन्म देने वाली मां से मिलने के लिए बिलख रही है। बताया जाता है कि ममता की मां कुष्ठ रोग से पीड़ित थी। अपनी जिंदगी की लाचारी को देखते हुए बेटी की जिंदगी को संवारने के लिए उसने अपने दिन पर पत्थर रखते हुए कठोर निर्णय लिया और उसे अपने से दूर कर दिया।
15 साल पहले ओडिशा में एक ऑस्ट्रेलियाई जोड़े ने पुरी चाइल्डलाइन से ममता को गोद ले लिया था। ममता अब बड़ी हो गई है और अब स्नातक स्तर की पढ़ाई कर रही है। वह अब अपनी जैविक मां बसंती दास की तलाश कर रही है।
यह बात 2007 की है जब ममता केवल तीन साल की बच्ची थी। उसको पुरी सिंघद्वार के पास से बचाया गया था। बाद में उसे कटक के बसुंधरा चाइल्ड केयर सेंटर को सौंप दिया गया।
पुरी चाइल्डलाइन के निदेशक देवाशीष रथ ने कहा कि लड़की लापता हो गई थी और बाद में चाइल्डलाइन ने उसे बचा लिया। तब वह केवल तीन साल की थी। उस समय कोई बाल कल्याण समिति नहीं बनाई गई थी, इस कारण बच्ची को उसकी मां को सौंप दिया गया। हालांकि, कुछ समय बाद महिला वापस लौटी और बच्चे को पालने में अनिच्छा और असमर्थता जतायी तथा दिल पर पत्थर रखकर उसे छोड़ने का फैसला किया।
रथ के अनुसार, शुरुआत में वे महिला के फैसले से हैरान हुए, क्योंकि वह कुष्ठ रोग से पीड़ित थी। इसके बाद लड़की करीब 18 महीने तक कटक में रही। यहां भी मां की स्थितियों ने पीछा नहीं छोड़ा, जिससे कोई भी भारतीय बच्ची को गोद लेने के लिए तैयार नहीं हुआ। इसके बाद एक ऑस्ट्रेलियाई जोड़ा आगे आया और लड़की ममता को अपने साथ ले गया। काफी लंबे समय बाद कुछ साल पहले की बात है, लड़की ममता ने ईमेल लिखकर अपनी मां से मिलने की इच्छा जताई थी, लेकिन कोरोना को लेकर जारी प्रतिबंधों के कारण ममता अपने पालक माता-पिता के साथ अपनी मां से मिलने पुरी नहीं आ सकीं। उम्मीद की जा रही है कि ममता जनवरी में अपनी मां से मिलने भारत आएगी, लेकिन इधर, उसकी मां का कहीं पता नहीं चल रहा है। इधर, हर बार अपने पत्र में ममता मां से मिलने की तड़प का इजहार करती है। वह कहती है कि उसे जन्म देने वाली मां महान हैं, क्योंकि उन्होंने बेहतर भविष्य के लिए उसने अपने जिगर के टुकड़े को सौंप दिया है। अब आर्थिक रूप से मजबूत होने के कारण ममता अपनी मां से मिलने की पूरी कोशिश कर रही हैं। हालांकि अभी तक ममता की मां बसंती का पता नहीं लग पाया है, जो खुर्दा जिले की रहने वाली हैं।