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ODISHA HIGH COURT

ओडिशा हाईकोर्ट की स्थायी पीठें नहीं होंगी स्थापित

  •  राज्य में चल रहे वकीलों के आंदोलनों को लगा बड़ा झटका

  •  सुप्रीम कोर्ट ने इसके गठन की किसी भी संभावना से इनकार किया

  • उच्चतम न्यायालय ने प्रदर्शन कर रहे वकीलों को जमकर लताड़ा

  •  ओडिशा पुलिस की निष्क्रियता पर भी उठाये सवाल

भुवनेश्वर/नई दिल्ली। पश्चिमी ओडिशा में राज्य के उच्च न्यायालय की एक स्थायी पीठों के लिए चल रहे वकीलों के आंदोलनों को एक बड़ा झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इसके गठन की किसी भी संभावना से इनकार कर दिया। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे वकीलों को जमकर लताड़ा।
जस्टिस एसके कौल और अभय एस ओका की दो सदस्यीय खंडपीठ ने संबलपुर जिले में उच्च न्यायालय की स्थायी बेंच की मांग को लेकर राज्य में वकीलों के विरोध प्रदर्शन से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया है।
सुनवाई के दौरान ओडिशा के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और संबलपुर के आईजीपी शीर्ष अदालत में वर्चुअली पेश हुए।
सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि बेंच स्थापित करने का कोई सवाल ही नहीं है। समय बीतने और प्रौद्योगिकी के उपयोग ने मांगों को अप्रचलित बना दिया है। प्रौद्योगिकी का उपयोग अब काफी व्यापक है और ओडिशा उच्च न्यायालय द्वारा निगरानी की जाती है। अतिरिक्त बेंच के बाहर निकलने की कोई जरूरत नहीं है। अदालत ने आगे कहा कि इस तरह की मनमौजी मांगों के साथ हाईकोर्ट की बेंचों का स्थानांतरण या निर्माण नहीं किया जा सकता है।
पुतला फूंकने की निंदा की
पीठ ने मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे वकीलों पर निशाना साधा और कहा कि हम हड़ताली, जिन्होंने पुतला फूंका, वकीलों के आचरण की निंदा करते हैं। पुलिस को एहतियाती गिरफ्तारी करनी चाहिए थी और ऐसे लोगों को कम से कम कुछ समय के लिए हिरासत में रखना चाहिए था। हमने अपराधियों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार करने की जिम्मेदारी पुलिस अधिकारियों पर डाल दी है।
वकीलों के आचरण ने गठन की उम्मीदों को खोया
खंडपीठ ने कहा कि हाईकोर्ट की स्थायी पीठ के गठन की कोई उम्मीद नहीं है। यहां तक कि अगर कुछ संभावना थी, वह अब वकीलों के आचरण से खो गई है। अदालत ने यह भी कहा कि पीठों की स्थापना की मांग केवल संबलपुर से ही नहीं है, बल्कि भुवनेश्वर बार एसोसिएशन की मांगें हैं कि उच्च न्यायालय को भुवनेश्वर में स्थानांतरित किया जाए।
मनमानी मांगों से नहीं होगा गठन
अदालत ने कहा कि यह इस तरह की मनमानी मांगों से नहीं किया जा सकता है। हम इसे मुद्दों को समाप्त करने के लिए रख रहे हैं।
हड़ताल को संभालने में पुलिस की घोर विफलता
अदालत ने कहा कि यह वकीलों की हड़ताल को संभालने में पुलिस की घोर विफलता है। पीठ ने कहा कि हमें इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह पुलिस की घोर विफलता है। उन्होंने आईजीपी और डीजीपी ने हमें आश्वासन दिया है कि जो हुआ है वह दोबारा नहीं होगा और वे व्यक्तिगत जिम्मेदारी लेते हैं कि पूरी तरह से शांति बनाए रखी जाए।

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