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कुपोषण और बौनापन को नियंत्रित करने में जुटा ओडिशा

  •  देश में एक अलग पोषण बजट पेश करने वाला पहला राज्य है ओडिशा

  •  खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम के तहत लगभग 96.5 लाख परिवार हुए शामिल

  •  कुछ वर्षों में ही लक्ष्य होगा हासिल – सुरेश महापात्र

भुवनेश्वर। कुपोषण और बौनापन को नियंत्रित करने में ओडिशा जुट गया है। इस मामले के लिए देश में एक अलग पोषण बजट पेश करने वाला पहला राज्य ओडिशा है और कुछ वर्षों में ही इस लक्ष्य को हासिल कर लिया जायेगा। यह बातें राज्य के मुख्य सचिव सुरेश चंद्र महापात्र ने कल यहां आयोजित एक कार्यक्रम में कहीं।
राजधानी में आयोजित चाइल्डहूड स्टंटिंग इन इंडिया विषयक राष्ट्रस्तरीय कॉन्क्लेव को वह संबोधित कर रहे थे। इस उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ओडिशा एक अलग पोषण बजट पेश करने वाला पहला राज्य है। राज्य सरकार अब स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण और स्वच्छता को लक्षित कर सामाजिक क्षेत्र पर खर्च कर रही है।
उन्होंने बताया कि ओडिशा बौनापन और कुपोषण में लक्षित कमी लाने के लिए पूरी तरह तैयार है। इसके लिए राज्य में खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम के तहत लगभग 96.5 लाख परिवारों को शामिल किया गया है। इसके साथ ही पूरक पोषाहार में पीडीएस में मिलेट फोर्टीफायड चावल को शामिल किया गया है। साथ ही शहरी इलाकों में आहार केंद्र चलाये जा रहे हैं। डब्ल्यूएसएचजी की भागीदारी के साथ 55 हजार विद्यालयों में मध्याह्न भोजन दिया जा रहा है। इसके साथ ही 75 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिये पूरक पोषण के लिए घर राशन दिये जा रहे हैं।
महापात्रा ने कहा कि मध्याह्न भोजन पकाने और खिलाने का लगभग शत प्रतिशत डब्ल्यूएसएचजी के माध्यम से किया जा रहा है। आंगनबाड़ी केंद्र स्तर पर नियमित जांच के साथ कुपोषण और बौनापन को एक मजबूत और विश्वसनीय विधि के माध्यम से घरेलू स्तर पर डेटा संग्रह किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि ओडिशा अब कुपोषण और बौनापन को कम करने के लिए एक आक्रामक लक्ष्य हासिल करने को तैयार है और इसे आने वाले कुछ वर्षों में हासिल करना संभव होगा।
उन्होंने कहा कि यह समस्या बहुआयामी है और इस तरह विभिन्न विभागों के बीच ठोस प्रयासों के साथ एक समग्र कार्य योजना की आवश्यकता है।
कॉन्क्लेव में महिला एवं बाल विकास सचिव सुभा शर्मा, यूनिसेफ के पोषण प्रमुख अर्जन डे वाग्ट, पोषण विशेषज्ञ प्रोफेसर श्रीनाथ रेड्डी और ओडिशा राज्य खाद्य सुरक्षा आयोग के अध्यक्ष प्रमोद कुमार मेर्कप ने कुपोषण और बच्चों के स्टंटिंग के विभिन्न रूपों पर प्रकाश डाला। इन सभी वक्ताओं ने वंशानुगत समस्या, हार्मोनल, क्षेत्रीय, जलवायु और सामाजिक-आर्थिक संबंधों पर प्रकाश डाला।
इस दौरान मुख्य सचिव सुरेश महापात्र ने आश्वासन दिया कि सरकार इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में विचार-विमर्श से उभरने वाले ठोस सुझावों के लिए सभी वित्तीय और प्रशासनिक सहायता प्रदान करेगी।
कॉन्क्लेव का आयोजन तीन सत्रों में किया गया था। इसमें उपराष्ट्रीय मामलों से बचपन में बौना पर अंतर्दृष्टि, कुपोषण की श्रृंखला को तोड़ने, मातृ, बाल स्वास्थ्य और पोषण पर महत्वपूर्ण कदम जैसे विषय पर चर्चा की गई। इस मौके पर कई अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।

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