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समान अधिकार पाने हेतु संघर्ष जरूरी
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भगवा नका आशीर्वाद है योग
संबलपुर। अपरंपार शक्ति की मालकिन हैं महिलाएं, बस उन्हें अपनी इस शक्ति को पहचानने की जरूरत है। पुरूष के समकक्ष समान अधिकार के साथ खड़ा होनेके लिए महिलाओं को अपनी इस शक्ति को एकजूट करते हुए संघर्ष करना पड़ेगा। तब जाकर वह समाज में अपने लिए एक नया मुकाम खड़ी कर पाएंगी। विश्व महिला दिवस के उपलक्ष्य में महिलाओं के नाम संदेश देते हुए शहर की जानीमानी योग प्रशिक्षिका तथा पतंजलि योग समिति के प्रदेश प्रभारी जे गिरिजा देवी ने यह उदगार व्यक्त किया है। एक विशेष बातचीत में श्रीमती गिरिजा देवी ने कहा कि अभिभावकोंको बेटा एवं बेटी में कोई फर्क नहीं करना चाहिए। परिवार में जितना अधिकार एवं सम्मान बेटों को दिया जाता है, उतना ही अधिकारी बेटियों को भी मिलना चाहिए। बेटों को जितना फ्रीडम दिया जाता है कि बेटियों के लिए भी उतना ही फ्रीडम सुनिश्चित करना चाहिए। तब जाकर दोनों जीवन के संघर्ष में एकसाथ आगे बढ़ पाएंगे। योगके विषय में बोलते हुए श्रीमती गिरिजा देवी ने कहा कि योग ने उनके जीवनके मायने ही बदल डाले। स्कूल जीवन से ही वह योग से प्रभावित हुई। जब वह बाबा रामदेव के संपर्क में आई तो योगके प्रति उनका जोश परवान चढ़ गया। जिसके बाद उन्होंने पीछे मूडक़र नहीं देखा। पतंजलि योग समिति के बैनर तले उन्होंने सैकड़ो लोगोंको योगका प्रशिक्षण और उनके जीवन को स्वच्छ एवं सुंदर बनाने का प्रयास किया। आज की तारीख में श्रीमती गिरिजा देवी प्रदेश के जाने माने योग प्रशिक्षकों में गिनी जाती है। योग के माध्यम से उन्होंने अनेकों डायबीटीज, ब्लेड प्रेसर एवं पारालीसीस मरीजों के जीवन में बहार लाने का शानदार प्रयास किया। अपने इस जनहित कार्य के लिए आज श्रीमती गिरिजा देवी संबलपुर में काफी लोकप्रिय हो गई हैं। लोग सम्मान एवं श्रद्धा के साथ उनके साथ योग में माहिर होनेकी चाह रखते हैं। श्रीमती गिरिजा देवी ने वर्ष 2008 में योगके लिए अपने आपको पूरी तरह समर्पित कर दिया। बीएसएनएलकी नौकरी के बावजूद वह योग से जुड़ी रही और आज सेवानिवृत होनेके बाद भी वह अपनी इस जन सेवा को जारी रखे हुए है। विश्व महिला दिवसकी खुशी बांटते हुए श्रीमती गिरिजा देवी ने महिलाओं को ईमानदारी से पग दर पग आगे बढ़ते हुए अपने मंजिल तक पहुंचने की शुभकामना दिया है। इस दौरान श्रीमती जे गिरिजा देवी ने अपने पति शशीभूषण पाढ़ी के सहयोग का भी जिक्र किया।