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महिलाओं को दिया बड़ा संदेश, सुनाई संघर्ष की कहानी
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दो दिनों के तूफानी दौरे में कई कार्यक्रमों में हुईं शामिल
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न चेहरे पर थकान, न थी शिकन
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माटी की खुशबू का खूब लिया आनंद
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रिश्ते और परंपराएं पद पर भारी
हेमन्त कुमार तिवारी, भुवनेश्वर।
ना तो कोई प्रोटोकॉल, ना ही कोई सर्वोच्च पद पर आसीन होने का गुमान और ना ही महिला होने का कोई मलाल। यह राष्ट्रपति कुछ अलग हैं। जिस मिट्टी पर जन्मा, जैसा रहीं, वैसा ही दिखीं। वैसा ही अपनों के साथ बात-व्यवहार। अक्सर बड़े पदों आसीन होने के बाद गुमान करने वालों के लिए एक बड़ा संदेश छोड़ते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने माटी से जुड़े रहने का एक बड़ा संदेश दिया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू दो दिवसीय ओडिशा दौरे पर गुरुवार को पहुंचीं और यहां राजधानी भुवनेश्वर से पुरी महाप्रभु श्री जगन्नाथ के दर्शन के लिए प्रोटोकॉल तोड़ते हुए दो किलोमीटर तक पैदल चलीं, जैसा कि वह राष्ट्रपति बनने से पूर्व करती थीं। महाप्रभु श्री जगन्नाथ के दर्शन के बाद घर पर जमीन पर बैठकर महाप्रसाद खाना और समुद्र तट पर घुमना आज भी उनको वैसे ही याद है। इस दौरान उन्होंने पुरी स्थित राजभवन में कुछ समय ठहरीं।
इसके बाद राष्ट्रपति ने राजधानी भुवनेश्वर आकर विभिन्न जगहों पर जाकर आठ विभुतियों की प्रतिमूर्तियों पर श्रद्धा अर्पित की। इसके बाद रात में उनके सम्मान में राजभवन में आयोजित नागरिक अभिनंदन कार्यक्रम में शामिल हुईं।
एक दिन में इतने कार्यक्रमों में शामिल होने के बाद भी उनके चेहरे पर न तो थकान थी और न ही कोई शिकन। उन्होंने महिलाओं के लिए एक बड़ा संदेश दिया कि अगर ठान लिया जाये, तो कुछ मुमकिन है। उन्होंने अपने दौरों को सफल करके शाबित किया कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में किसी भी मायने में कम नहीं हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का दूसरे दिन का दौरा भी पहले दिन की तरह की व्यस्तता भरा था। शुक्रवार को भी मुर्मू ने कई कार्यक्रमों में भाग लेते हुए अपने संघर्ष की कहानी सुनाई। आज सुबह सबसे पहले खंडगिरि स्थित तपोवन हाईस्कूल का दौरा किया। इसके बाद वह राजधानी स्थित यूनिट-2 में अपने स्कूल और हास्टल में गयीं, जहां उन्होंने रहकर पढ़ाई की थी। यहां बच्चों के साथ घुलना-मिलना वैसे ही दिखा जैसा वह राष्ट्रपति बनने से पूर्व करती थीं। कहीं भी कोई प्रोटोकॉल नहीं। अपने ही घर-आंगन और प्रदेश में कैसा प्रोटोकॉल और क्यों, इसका संदेश भी उन्होंने दिया। रिश्ते और परंपराएं पद पर भारी दिखे। इसके बाद उन्होंने शिक्षा दिवस के उपलक्ष्य में शिक्षा मंत्रालय की ओर से जयदेव भवन में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुईं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के इस दौरे ने कइयों के लिए कई सीख छोड़ गये। महिलाएं के लिए कर्मठ होने की सीख, तो पद पर गुमान नहीं करने की सीख, अपनी माटी की खुशबू का आनंद लेने की सीख, तो अपनों के बीच रहने की सीख। एक राष्ट्रपति के दौरे में सबकुछ अलग सा दिखा, क्योंकि यह राष्ट्रपति अलग हैं…!!!