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650 से अधिक माओवादी समर्थकों ने किया आत्मसमर्पण
मालकानगिरि। ओडिशा के मालकानगिरि जिले और पड़ोसी आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू जिले में माओवादियों को और एक बड़ा झटका लगा है। इन दोनों जिलों के लगभग 350 मिलिशिया, ग्राम समिति के सदस्यों (वीसीएम) और चेतना नाट्य मंडली सदस्यों (सीएनएम) सहित 650 से अधिक माओवादी समर्थकों ने जनतापयी (पेपरमेटला) में मालकानगिरि पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है।
बताया जाता है कि ये माओवादी समर्थक मालकानगिरि जिले के चित्रकोंडा प्रखंड अंतर्गत पेपरमेटला थाना क्षेत्र के रोलगेड्डा ग्राम पंचायत के धूलिपुट ग्राम पंचायत के विभिन्न गांवों तथा पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू जिले के विभिन्न गांवों के रहने वाले हैं। ये सभी गांव ओडिशा-एपी सीमा पर स्थित हैं और पूर्व में माओवादियों का गढ़ थे।
इन माओवादी समर्थकों ने दक्षिण पश्चिमी रेंज के पुलिस उपमहानिरीक्षक राजेश पंडित की उपस्थिति में जनतापयी (पेपरमेटला) में मालकानगिरि पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दकिया। इस मौके पर नितेश वाधवानी, एसपी, मालकानगिरि; शैलेन्द्र कुमार सिन्हा, डीआईजी, बीएसएफ, मालकानगिरि और सुनील कुमार मिंज, कमांडेंट, 9वीं बटालियन, चित्रकोंडा भी उपस्थित थे।
बताया जाता है कि ये सभी हिंसक गतिविधियों में सहायता करते थे और सुरक्षाबलों तथा नागरिकों की हत्या में शामिल थे। वे उन्हें रसद की आपूर्ति भी कर रहे थे।
ओडिशा और एपी के सीमावर्ती क्षेत्रों के आत्मसमर्पण करने वाले मिलिशिया, समर्थकों ने आत्मसमर्पण करने से पहले मीडियाकर्मियों के एक बड़े समूह के सामने माओवादियों की पोशाक सामग्री और पुतले जलाकर और “माओवादी मुर्दाबाद, अमा सरकार जिंदाबाद” के नारे लगाकर माओवादी विचारधारा के प्रति अपना विरोध प्रदर्शित किया।
स्वाभिमान आँचल में 9 ग्राम पंचायतें और 182 गाँव शामिल हैं, जो दो दशकों से अधिक समय से भाकपा (माओवादी) की आंध्र ओडिशा सीमा विशेष जोनल कमेटी के माओवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह था। अब यह तेजी से बदलाव के दौर से गुजर रहा है।
गुरुप्रिया पुल के निर्माण और राज्य सरकार के विशेष विकास पैकेजों के साथ सुरक्षाबलों की रणनीतिक तैनाती ने ग्रामीणों को मुख्यधारा में शामिल होने के लिए प्रेरित किया है।
साल 2018 में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने गुरुप्रिया ब्रिज का उद्घाटन किया था। इससे क्षेत्र के सभी घरों में नई सड़कों और पुलों के निर्माण, पेयजल आपूर्ति और बिजली की आपूर्ति जैसी विकास गतिविधियों की एक श्रृंखला की शुरुआत की।
नाव एम्बुलेंस और 112 एम्बुलेंस सेवाएं जैसी चिकित्सा सुविधाएं शुरू की गई हैं। कई सड़कें और पुल बनकर तैयार हो गए हैं। मत्स्य पालन बड़े पैमाने पर शुरू किया गया है। परिवहन के लिए संचालित करने के लिए ग्राम पंचायतों को कई पावर बोट दिए गए हैं। मोबाइल टावर लगाने का काम प्राथमिकता के आधार पर किया जा रहा है। सरकार के इन सक्रिय उपायों ने उन्हें मुख्यधारा में शामिल होने और विकास प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।
इससे पहले इस साल 2 जून को 50 सक्रिय कट्टर माओवादी समर्थकों ने 11 जून को ओडिशा के डीजीपी के सामने आत्मसमर्पण किया था, जबकि 347 माओवादी समर्थकों ने जंत्री बीएसएफ कैंप में मालकानगिरि पुलिस और बीएसएफ के सामने आत्मसमर्पण किया था। 22 अगस्त को 550 समर्थकों ने आत्मसमर्पण किया था। 17 सितंबर को 700 माओवादी समर्थकों ने आत्मसमर्पण कर दिया था और मुख्यधारा में शामिल हो गए थे।